नई दिल्ली, 22 अगस्त (आईएएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रेडमार्क उल्लंघन को लेकर रॉयल चैंप व्हिस्की के निर्माता ग्वालियर डिस्टिलरीज प्राइवेट लिमिटेड पर स्थायी रूप से रोक लगा दी है और 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। ग्वालियर डिस्टिलरीज प्राइवेट लिमिटेड पर ट्रेडमार्क उल्लंघन पर आरोप लगाया गया था, जिसका उत्पाद सीग्राम के रॉयल स्टैग व्हिस्की ब्रांड के समान पाया गया है।
न्यायमूर्ति नवीन चावला ने हाल के एक आदेश में कहा कि ग्वालियर डिस्टिलरीज स्पष्ट रूप से अवांछित उपभोक्ता को धोखा देने और वादी की प्रतिष्ठा और सद्भावना के साथ खिलवाड़ करने का इरादा रखती है।
अदालत ने कहा, यह देखा गया है कि स्टैग के बजाय चैंप शब्द का उपयोग दो मार्क्स को अलग करने के लिए पर्याप्त नहीं है, खासकर जब इसे लेबल के समग्र गेट अप के साथ जोड़ा जाता है। माल काउंटर पर बेचा जाता है और एक नासमझ उपभोक्ता एक (ब्रांड) को दूसरी के मुकाबले भ्रमित कर सकता है।
अदालत ने यह भी नोट किया कि प्रतिवादी का लेबल वादी के रॉयल स्टैग लेबल की एक नकल है और कॉपीराइट अधिनियम की धारा 55 के साथ पठित धारा 51 के तहत कॉपीराइट उल्लंघन के बराबर है।
वादी ने कहा कि व्यवसाय में उनका पूर्ववर्ती द सीग्राम कंपनी लिमिटेड है, जिसे कनाडा के कानूनों के तहत शामिल किया गया था और कई देशों में उपस्थिति रखने वाली अपनी विभिन्न सहायक कंपनियों और समूह कंपनियों के माध्यम से सीग्राम समूह की अंतिम होल्डिंग कंपनी है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि कंपनी ने 1995 से ट्रेडमार्क रॉयल स्टैग के तहत व्हिस्की की बिक्री शुरू की और भारत में ब्रांड की बिक्री की मात्रा 1995 में 4.04 करोड़ रुपये से बढ़कर 2008 में 848.68 करोड़ रुपये हो गई।
इसके अलावा यह भी बताया गया कि रॉयल स्टैग मार्क के विज्ञापन और प्रचार में मार्केटिंग खर्च 1 करोड़ रुपये से बढ़कर 42.37 करोड़ रुपये हो गया है।
मुकदमे के अनुसार, प्रतिवादी ने उन सभी विशेषताओं की नकल की है जो सामूहिक रूप से वादी की रॉयल स्टैग की ट्रेड ड्रेस को अलग करती हैं। प्रतिवादी की बोतल के सामने के पैनल पर वादी के रॉयल स्टैग लेबल के समान एक लेबल लगा होता है, जिसमें क्रीम, बरगंडी और गोल्ड का एक ही रंग संयोजन देखा गया है।
इसके अलावा यह भी बताया गया कि रॉयल चैंप को क्रीम रंग में बोल्ड कैपिटल अक्षरों में उसी फॉन्ट और तरीके से दर्शाया गया है, जैसा रॉयल स्टैग का मार्क है।
विस्तृत दलीलें सुनने के बाद अदालत ने इसे भ्रामक माना और नोट किया कि इसकी वजह से अनजान उपभोक्ता भ्रम में आकर रॉयल स्टैग के बजाय दूसरी ब्रांड खरीद सकता है।
इस पर गौर करते हुए अदालत ने प्रतिवादी को वादी को वाद के नुकसान और लागत के रूप में 20 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया।
--आईएएनएस
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