इस्लामाबाद, 1 सितंबर (आईएएनएस)। पाकिस्तान के लोग इन दिनों जिंदगी बचाने की चुनौतियों का सामना कर रहा है। लाखों लोग एक तरफ बाढ़ से हुई तबाही झेल रहे हैं, तो दूसरी तरफ बढ़ती मुद्रास्फीति के कारण बाकी लोगों का जीना दुश्वार हो रहा है।शहबाज शरीफ सरकार ने अपने ताजा कड़े फैसले में वैश्विक तेल दरों में गिरावट के बावजूद पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में करीब 3 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है।
कीमतों में वृद्धि का निर्णय मुख्य रूप से विनिमय दर में उतार-चढ़ाव और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा हाल ही में फिर से शुरू किए गए बेलआउट ऋण कार्यक्रम के साथ प्रतिबद्धता के अनुरूप पेट्रोलियम लेवी में वृद्धि किया जा रहा है।
वित्त मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक, पेट्रोल की कीमत में 2.07 रुपये, हाई स्पीड डीजल (एचएसडी) की कीमत में 2.99 रुपये, केरोसिन की कीमत में 10.92 रुपये और हल्के डीजल तेल (एलडीओ) की कीमत में 9.79 रुपये की बढ़ोतरी की गई है।
वित्त मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है, पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों की पाक्षिक समीक्षा में सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय तेल के भाव में बदलाव और विनिमय दर में उतार-चढ़ाव के अनुरूप पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में आंशिक वृद्धि करने की सिफारिश पर विचार किया है।
अधिसूचना में कहा गया है, उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए पेट्रोलियम लेवी को कम से कम रखा गया है।
संशोधित कीमतें 1 सितंबर से 15 सितंबर 2022 तक रखी गई हैं।
कीमतों में वृद्धि सब्जियों की कीमतों में भारी वृद्धि के बीच हुई है, जिसमें कम से कम 200 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह विनाशकारी बाढ़ के बाद हुआ है, देशभर में टमाटर, आलू और अन्य सब्जियों की कीमतों में वृद्धि की गई है, क्योंकि तैयार फसलों के साथ 2 करोड़ एकड़ से अधिक खेतों में लगी फसल नष्ट हो गई है।
शहबाज शरीफ सरकार ने इस साल मई के अंतिम सप्ताह से ईंधन की कीमतें बढ़ाना शुरू कर दिया था, क्योंकि उसे आईएमएफ से बेलआउट पैकेज फिर से शुरू कराने की दिशा में काम करना था।
तेल और बिजली क्षेत्रों में सब्सिडी वापस लेने और राजकोषीय घाटे को कम करने के समझौते के हिस्से के रूप में मूल्यवृद्धि पाकिस्तान और आईएमएफ के बीच मुख्य मुद्दा रहा है।
पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में वृद्धि के समानांतर, सरकार लगातार बिजली की प्रति यूनिट कीमत में भी वृद्धि कर रही है।
स्थानीय लोगों ने बिजली बिलों में भारी ईंधन समायोजन शुल्क लगाने के सरकार के फैसले का विरोध किया है। कई लोगों ने बिलों का भुगतान करने से इनकार कर दिया है।
दूसरी ओर, सरकार आईएमएफ समझौते के तहत चालू वित्तवर्ष के दौरान 855 अरब रुपये एकत्र करने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए तेल उत्पादों पर पीडीएल को धीरे-धीरे बढ़ाकर अधिकतम 50 रुपये प्रति लीटर करने के लिए बाध्य है।
--आईएएनएस
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