मास्को, 2 सितम्बर (आईएएनएस)। स्विफ्ट अंतरराष्ट्रीय भुगतान प्रणाली से रूस के अलग होने से चौंकाने वाले परिणाम हो सकते हैं। कई देश अब वैकल्पिक उपायों पर विचार कर रहे हैं। ग्यारह देश पहले ही रूसी एमआईआर भुगतान प्रणाली में शामिल हो चुके हैं और 15 से अधिक ने अपनी इच्छा व्यक्त की है, उनमें से भारत भी है।
भारत और रूस पहले से ही अपने-अपने भुगतान तंत्र को एकीकृत करने के लिए बातचीत कर रहे हैं ताकि दोनों देशों के बीच व्यापार प्रभावित न हो। दोनों देशों को एक ऐसी वित्तीय प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता है जो रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों से प्रभावित न हो।
जुलाई में, पहली बार, रूस से माल भारत में भूमि द्वारा भेजा गया था। नया व्यापार मार्ग, रूस से माल को मध्य एशिया और ईरान से गुजरने की अनुमति देता है। इससे एक ही बार में दो समस्याओं का समाधान होता है - स्वेज नहर से जहाज द्वारा परिवहन और प्रतिबंधों के डर का समाधान।
भारत में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने इस साल व्यापार की मात्रा में 40 प्रतिशत की वृद्धि की भविष्यवाणी की है। एन प्लस ग्रुप और आरयूएसएएल के संस्थापक ओलेग डेरिपस्का ने अपने हालिया साक्षात्कार में इसी तरह की स्थिति की घोषणा की। वह अगले दशक में दोनों देशों के बीच 120-150 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार की क्षमता का आकलन करते हैं।
रूसी और भारतीय भुगतान प्रणालियों की पारस्परिक मान्यता तर्क संगत दिखती है। हालांकि रुपया-रूबल का व्यापार अतीत में सफल नहीं रहा है, लेकिन चल रहे भू-राजनीतिक बदलावों ने दोनों देशों को बाधाओं को हल करने के लिए काम करने के लिए प्रेरित किया है।
द्विपक्षीय व्यापार भुगतान में राष्ट्रीय मुद्राओं के उपयोग का विस्तार करने के लिए देश पहले से ही बातचीत कर रहे हैं। यह व्यवस्था अनिवार्य रूप से दोनों देशों के बीच अमेरिकी डॉलर, यूरो या ब्रिटिश पाउंड के बजाय उनकी मुद्राओं में भुगतान के निपटान की सुविधा प्रदान करती है।
एसजेएम के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने इंडिया नैरेटिव को बताया, रूस के खिलाफ मौजूदा स्थिति और प्रतिबंधों को देखते हुए भुगतान प्रणाली अब रणनीतिक है। भुगतान प्रणाली में आत्मनिर्भर होना अत्यंत महत्वपूर्ण है और हमें उस दिशा में काम करने की आवश्यकता है।
महाजन ने कहा, हमारी अपनी भुगतान प्रणाली है, हमें यह देखने की जरूरत है कि इसकी वैश्विक स्वीकृति कैसे बढ़ाई जाए। उन्होंने कहा कि भारत को रूस के स्वदेशी एमआईआर के साथ अपनी भुगतान प्रणाली को एकीकृत करने का प्रयास करना चाहिए।
इस प्रकार, स्विफ्ट से रूस को अलग करने के अमेरिका के कदम ने वैश्विक व्यापार के डी-डॉलराइजेशन की आवश्यकता पर भी ध्यान केंद्रित किया है।
वर्तमान भू-राजनीतिक और आर्थिक संदर्भ में, नए रणनीतिक गठबंधनों का निर्माण और स्थानीय बाजार-उन्मुख प्रणालियों का विकास भारत और पूर्व के अन्य देशों के लिए लाभ प्राप्त करने के लिए एक जरूरी कदम है।
--आईएएनएस
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