नई दिल्ली, 31 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने इस साल वैश्विक स्तर पर अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। 2024 में भारत दुनिया के तीसरे सबसे बड़े स्मार्टफोन निर्यातक के रूप में उभरा और पहली बार स्टील का शुद्ध निर्यातक बना। पिछले एक दशक में शुरू की गई सरकारी पहल और रणनीतिक निवेश के कारण देश एक वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब के लिए तैयार है।
भारत द्वारा वैश्विक और घरेलू मांग को पूरा करने के लिए रिकॉर्ड क्रूड स्टील का उत्पादन किया जा रहा है। इससे देश में इलेक्ट्रिक वाहन और कंज्यूमर इलेक्ट्रिक्स उद्योग को भी सहारा मिल रहा है।
टॉय सेक्टर जिसे विशिष्ट माना जाता है। इसके निर्यात में 239 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जबकि निर्यात 52 प्रतिशत घटा है।
भारत की फार्मा इंडस्ट्री में 748 यूएसएफडीए अप्रूव्ड साइट्स हैं, जो दिखाता है कि देश के पास विश्व स्तरीय मैन्युफैक्चरिंग क्षमताएं हैं। सोलर पैनल और विंड टरबाइन के उत्पादन में वृद्धि हुई है, जो भारत की बढ़ती रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता को दिखाता है।
भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने 2024 में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है, जो वैश्विक महाशक्ति के रूप में देश की क्षमता को रेखांकित करता है। इस वर्ष 'मेक इन इंडिया' के 10 वर्ष भी पूरे हुए, जिसके तहत भारत को मैन्युफैक्चरिंग में एक दिग्गज खिलाड़ी बनाने के लिए कई उल्लेखनीय कदम उठाए गए हैं।
पिछले एक दशक में भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में बड़ा बदलाव आया है। इसकी वजह सरकार द्वारा नीतिगत सुधार और व्यापार केंद्रित योजनाओं की शुरुआत करना था।
देश में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए लाई गई प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम को 14 सेक्टरों में लागू किया जा चुका है। इससे 8.5 लाख से ज्यादा नौकरियां पैदा हुई हैं।
वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत रही है। इस दौरान इंडस्ट्रीयल वृद्धि दर 9.5 प्रतिशत थी।
श्रम-प्रधान सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की रीढ़ बने हुए हैं, जो कुल उत्पादन में 35 प्रतिशत और निर्यात में 45 प्रतिशत का योगदान देते हैं।
2024 तक उद्यम पोर्टल पर 4.7 करोड़ एमएसएमई पंजीकृत हैं, जो 6.78 लाख करोड़ रुपये की 92 लाख गारंटी प्रदान करने वाली क्रेडिट योजनाओं से लाभान्वित हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम ने भी 89,000 से अधिक सूक्ष्म इकाइयों का समर्थन किया, जिससे वित्त वर्ष 24 में 7.13 लाख लोगों के लिए रोजगार पैदा हुआ।
भारत की पीएलआई योजनाओं ने देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को गति देने में एक परिवर्तनकारी भूमिका निभाई है, जिससे देश औद्योगिक उत्पादन का वैश्विक केंद्र बन गया है।
पीएलआई योजना का सबसे अधिक फायदा इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर को मिला है। इससे घरेलू स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन 400 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 23 में 8.22 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो कि 2014 में 1.9 लाख करोड़ रुपये था।
इसके अलावा फार्मा सेक्टर को भी पीएलआई स्कीम से लाभ हुआ है। इस योजना के तहत 30,000 करोड़ रुपये का निवेश इस सेक्टर में हुआ है।
इससे एपीआई, वैक्सीन, बायोसिमिलर और बायोलॉजिक्स के उत्पादन में भारत की क्षमताएं मजबूत हुई हैं, जिससे दुनिया के तीसरे सबसे बड़े फार्मास्युटिकल बाजार के रूप में देश की स्थिति मजबूत हुई है। इसी तरह, एयर कंडीशनर और एलईडी लाइट जैसे व्हाइट गुड्स के लिए पीएलआई योजना ने आयात निर्भरता को कम किया है, घरेलू उत्पादन को बढ़ाया है और रोजगार पैदा किए हैं।
बीते एक दशक में स्टील सेक्टर में भी बड़ा बदलाव हुआ है। 2014 के मुकाबले उत्पादन 70 प्रतिशत बढ़ गया है। इस दौरान कपड़ा और परिधान का निर्यात 20 प्रतिशत बढ़कर 2.97 लाख करोड़ रुपये रहा है, जिसके कारण भारत दुनिया के शीर्ष पांच निर्यातकों में बना हुआ है।
2024 भारत की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के लिए एक टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ है। देश 2,500 करोड़ चिप उत्पादन की वार्षिक क्षमता विकसित करने की राह पर है। इनका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक व्हीकल से लेकर कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स में किया जाएगा।
---आईएएनएस
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