नई दिल्ली, 14 सितंबर (आईएएनएस)। आईआईटी रुड़की के एक रिसर्च स्कॉलर ने नासा के प्रतिष्ठित आर्टेमिस प्रोग्राम में अहम योगदान दिया है। प्रतीक त्रिपाठी नामक इस रिसर्च स्कॉलर को नासा में स्पेन, यूनाइटेड किंगडम और डोमिनिका के शोधकर्ताओं की अंतर्राष्ट्रीय टीम के साथ काम करने का अवसर मिला है। प्रतीक त्रिपाठी 10 सप्ताह के सालाना समर इंटर्न प्रोग्राम का हिस्सा थे। उनका शोध बताता है कि अंतरिक्ष यात्री 2 घंटे के भीतर लैंडिंग साइट से एक स्थायी छाया क्षेत्र (पीएसआर) जा कर लौट सकते हैं।आईआईटी रुड़की के रिसर्च स्कॉलर प्रतीक त्रिपाठी एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (एनएएसए) के प्रतिष्ठित आर्टेमिस प्रोग्राम में योगदान देने के लिए चुने गए थे। इसमें वह चंद्रमा के लिए आर्टेमिस मिशन में सहायक योगदान दे रहे हैं। उन्होंने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में तीन संभावित लैंडिंग साइटों का आकलन किया। उनका मार्गदर्शन एलपीआई के अत्यधिक अनुभवी वरिष्ठ चंद्र वैज्ञानिक डॉ डेविड क्रिंग ने किया।
प्रोग्राम का आयोजन लूनर एण्ड प्लैनेटरी इंस्टीट्यूट (एलपीआई) और नासा ने किया था। इस यात्रा के लिए आर्थिक अनुदान यूनिवर्सिटी स्पेस रिसर्च एसोसिएशन (यूएसआरए) ने दिया था।
इस साल प्रोग्राम के लिए आए 300 से अधिक आवेदनों में से चुने गए केवल पांच फेलोशिप में एक प्रतीक त्रिपाठी को दिया गया जो एक रिसर्च स्कॉलर (जियोमैटिक्स इंजीनियरिंग ग्रुप, सिविल इंजीनियरिंग विभाग) हैं और आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर राहुल देव गर्ग के मार्गदर्शन में कार्यरत हैं।
प्रतीक का कार्य लैंडिंग साइटों से स्थायी छाया क्षेत्रों (पीएसआर) तक आने-जाने की संभावित योजनाओं के मद्देनजर ढलान, तापमान, रोशनी और पैदल चलने में लगे समय जैसे मानकों का आकलन करना है। इन पीएसआर में आरंभिक सौर मंडल से अब तक के हाइड्रोजन, हिम जल और अन्य वाष्पशील जीवाश्मों के रिकॉर्ड होते हैं। प्रतीक के परीक्षण में वैज्ञानिकों ने खास दिलचस्पी ली है और यह नासा के आर्टेमिस थ्री मिशन का बुनियादी उद्देश्य बन गया है।
प्रतीक के शोध कार्यों के निष्कर्षों के अनुसार अंतरिक्ष यात्री 2 घंटे में लैंडिंग साइट से सुगम पीएसआर आना-जाना कर सकते हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि पहुंचने में आसान पीएसआर में पूरे वर्ष पृथ्वी पर अब तक के न्यूनतम तापमान से काफी अधिक तापमान रहता है।
नासा में काम का अनुभव साझा करते हुए प्रतीक त्रिपाठी ने कहा, एलपीआई के वरिष्ठ चंद्र वैज्ञानिक डॉ डेविड क्रिंग के साथ काम करना बहुत उत्साहवर्धक अनुभव था। मैं आईआईटी रुड़की का भी आभारी हूं जहां मुझे पृथ्वी, चंद्रमा और मंगल के खनिज विज्ञान क्षेत्र में काम करने का अवसर दिया गया।
आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर अजीत कुमार चतुवेर्दी ने उन्हें बधाई देते हुए कहा, मैं नासा के इस प्रतिष्ठित प्रोग्राम में प्रतीक के चयन और नासा के आगामी चंद्र मिशन के डिजाइन में उनके योगदान के लिए प्रतीक त्रिपाठी और उनके सुपरवाइजर प्रोफेसर आर.डी. गर्ग को बधाई देता हूं।
प्रतीक त्रिपाठी के शोध कार्य के बारे में प्रोफेसर राहुल देव गर्ग, प्रोफेसर, आईआईटी रुड़की, ने कहा, प्रतीक अपने काम के प्रति समर्पित हैं और इस सम्मान के बड़े हकदार हैं। मुझे विश्वास है कि वे नासा में प्राप्त ज्ञान का भारत में उपयोग करेंगे जिससे राष्ट्र लाभान्वित होगा।
प्रतीक ने कहा कि वह आईआईटी रुड़की के आभारी हैं जहां उन्हें शांतिपूर्ण और अनुकूल परिवेश और पीएच. डी. करने की सभी सुविधाएं देकर पृथ्वी, चंद्रमा और मंगल के खनिज विज्ञान की विशेषता पर अभूतपूर्व शोध करने का अवसर दिया गया।
--आईएएनएस
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