नई दिल्ली, 22 सितम्बर (आईएएनएस)। भारत सरकार ने गुरुवार को कहा कि पिछले कुछ महीनों में टूटे चावल के निर्यात में वृद्धि के बाद इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया है।केंद्र ने कहा, कुक्कुट फीड में इस्तेमाल होने वाले टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हाल के महीनों में अनाज के निर्यात में वृद्धि के बाद लगाया गया, जिसने घरेलू बाजार पर दबाव डाला। एसडीजी की उपलब्धि को ध्यान में रखते हुए देश की खाद्य सुरक्षा चिंताओं के लिए शुरू किया गया है। केंद्र ने कहा कि सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की उपलब्धि के लिए बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली (एमटीएस) का समर्थन करने के लिए गैर-बाध्यकारी मार्गदर्शक सिद्धांतों के अनुसार, यह सुनिश्चित करना होगा कि खाद्य सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए शुरू किए गए किसी भी आपातकालीन उपाय से व्यापार कम हो जाएगा। जहां तक संभव हो, विकृतियां अस्थायी, लक्षित और पारदर्शी हों और विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अनुसार अधिसूचित और कार्यान्वित की जाएं।
एक बयान में कहा कि, विश्व खाद्य कार्यक्रम के नियमों के अनुसार, विश्व खाद्य कार्यक्रम पर मंत्रिस्तरीय निर्णय, निर्यात निषेध या प्रतिबंधों से खाद्य खरीद छूट, सदस्यों को विश्व खाद्य कार्यक्रम, केंद्र द्वारा गैर-व्यावसायिक मानवीय उद्देश्यों के लिए खरीदे गए खाद्य पदार्थों पर निर्यात प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए। भारत ने सितंबर में घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया और चावल को छोड़कर गैर-बासमती चावल पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया।
सरकार की ओर से जारी नए निदेशरें के मुताबिक टूटे हुए चावल के खेप को निर्यात की अनुमति अभी उन्हें होगी जिनकी लोडिंग बैन लगाने का निर्णय आने से पहले जहाज पर हो गई थी या जहां शिपिंग बिल दायर कर दिया गया है और जहाज पहले ही लोडिंग के लिए पहुंचकर भारत में लंगर डाल चुके हैं। एक नई अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि जिन मामलों में बंदरगाहों और उनके रोटेशन नंबर आवंटित कर दिए गए हैं और जहां टूटे हुए चावल की खेप सीमा शुल्क विभाग को सौंप दी गई है और उनकी प्रणाली में पंजीकृत हो चुकी है उन्हें ही निर्यात की अनुमति मिलेगी। इससे पहले टूटे चावल के निर्यात के लिए 15 सितंबर तक की समयसीमा तय की गई थी। बता दें कि बीते नौ सितंबर को भारत ने टूटे चावल के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। टूटे चावल के निर्यात नीति को नि: शुल्क से निषिद्ध के रूप में संशोधित किया था।
चावल पर प्रतिबंध लगाने के भारत के कदम का बचाव करते हुए, केंद्र ने कहा कि भू-राजनीतिक परि²श्य के कारण टूटे चावल की वैश्विक मांग में वृद्धि हुई है, जिसने पशु चारा से संबंधित वस्तुओं सहित वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव को प्रभावित किया है। पिछले 4 वर्षों में टूटे चावल के निर्यात में 43 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है, अप्रैल-अगस्त 2022 से 21.31 एलएमटी निर्यात किया गया है, जबकि 2019 में इसी अवधि में 0.51 एलएमटी का निर्यात किया गया था, पिछले वर्ष की तुलना में 2021-22 में महत्वपूर्ण उछाल आया है। वर्ष में 2021, निर्यात की गई मात्रा 15.8 एलएमटी (अप्रैल-अगस्त, 2021) थी। चालू वर्ष में टूटे चावल की कीमतों में काफी वृद्धि हुई।
इसमें कहा गया है कि भारत के चावल निर्यात नियमों में हालिया बदलावों ने निर्यात की उपलब्धता को कम किए बिना घरेलू कीमतों पर नियंत्रण रखने में मदद की है। इथेनॉल-मिश्रण कार्यक्रम का समर्थन करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए परिवर्तन किए गए हैं जो महंगे तेल आयात को बचाता है और पशु आहार की लागत को कम करके पशुपालन और मुर्गी पालन क्षेत्रों की मदद करता है, जिसका दूध, मांस और अंडे की कीमत पर असर पड़ता है।
हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया है कि कम उबले चावल से संबंधित नीति में कोई बदलाव नहीं किया गया है ताकि किसानों को अच्छा लाभकारी मूल्य मिलता रहे। इसी तरह, बासमती चावल (एचएस कोड 10063020) में नीति में कोई बदलाव नहीं किया गया है क्योंकि बासमती चावल प्रीमियम चावल है जो कि विभिन्न देशों में भारतीय प्रवासी द्वारा प्रमुख रूप से खाया जाता है और इसकी निर्यात मात्रा अन्य चावल की तुलना में बहुत कम है।
--आईएएनएस
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