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महंगाई, बेरोजगारी जैसे लोगों के मुद्दे राजनीति की प्राथमिकता में होना चाहिए: कांग्रेस

प्रकाशित 08/10/2022, 07:47 pm
© Reuters.  महंगाई, बेरोजगारी जैसे लोगों के मुद्दे राजनीति की प्राथमिकता में होना चाहिए: कांग्रेस
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नई दिल्ली, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)। कांग्रेस का मानना है कि महंगाई और बेरोजगारी राजनीति का मूल होना चाहिए और लोगों के मुद्दे सार्वजनिक चर्चा का मुख्य विषय होना चाहिए। कांग्रेस ने आरोप लगाया गया कि भाजपा भटकाव की रणनीति का उपयोग कर रही है। पार्टी ने कहा कि खुद आरएसएस नेताओं का कहना है कि बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी चिंता का विषय है। यह पार्टी की भारत जोड़ो यात्रा का असर है कि आरएसएस भी इन मुद्दों पर बात कर रहा है।कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि 5.6 करोड़ भारतीयों को गरीबी में धकेल दिया गया है। कोविड महामारी के दौरान नरेंद्र मोदी सरकार की विफलताओं ने गरीबी बढ़ा दी, जबकि विश्व बैंक ने तीसरी बार भारत के सकल घरेलू उत्पाद के विकास के अनुमान को घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया।

मैक्रोइकॉनॉमिक फंडामेंटल काफी खराब हो गया है और रुपया लगातार कमजोर हो रहा है। विदेशी मुद्रा भंडार से लगभग 100 बिलियन डॉलर की कमी हुई है जबकि चालू खाता, राजकोषीय घाटा और व्यापार घाटा बढ़ गया है।

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेट ने कहा कि, उच्च कीमतों ने गरीबों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। 5.6 करोड़ भारतीयों को गरीबी में धकेल दिया गया है। भारत में गरीबी बढ़ी है। विश्व बैंक ने भी तीसरी बार भारत के लिए अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि को 7.5 प्रतिशत से घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है। इसका मतलब उच्च बेरोजगारी और गरीबी अधिक होगी।

पार्टी ने कहा कि विशेषज्ञों के अनुसार, विश्व बैंक का भारत में गरीबी का अनुमान वास्तव में जमीनी हालात से कम है। कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि कोविड महामारी के दौरान लगभग 27 से 30 करोड़ भारतीयों को गरीबी में धकेल दिया गया था। बहुपक्षीय गरीबी सूचकांक पर नीति आयोग के अनुसार देश में लगभग 25 प्रतिशत लोग गरीब हैं।

पार्टी ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों ने पीएम मोदी और उनकी सरकार को सुझाव दिया था कि पैसा सीधे गरीबों को दिया जाना चाहिए ताकि वे उपभोग करना जारी रख सकें। अगर उन्होंने कांग्रेस पार्टी द्वारा दिए गए सुझावों पर ध्यान दिया होता तो आर्थिक स्थिति इतनी खराब नहीं होती, लाखों दिहाड़ी मजदूरों को घर नहीं जाना पड़ता, लाखों एमएसएमई को बंद नहीं करना पड़ता और लगभग 6 करोड़ लोगों को गरीबी में धकेला नहीं जाता।

रुपया 82.33 से एक डॉलर के ऐतिहासिक निचले स्तर पर आ गया है। ऐसे में कांग्रेस की ओर से मोदी सरकार पर हमला और भी तेज हो गया है। इस साल की शुरूआत से 100 बिलियन डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार नष्ट हो गया है। चालू खाता घाटा और राजकोषीय घाटे की दोहरी समस्याएं बड़ी हैं, व्यापार 1 साल की अवधि में घाटा दोगुना हो गया है, निर्यात में लगभग 35 प्रतिशत की गिरावट आई है, एफएमसीजी की बिक्री में 10 प्रतिशत की गिरावट आई है, इस कम खपत ने निवेश को और धीमा कर दिया है, एमएसएमई बंद हो गए हैं और बेरोजगारी बढ़ रही है। यह सब उच्च कीमतों से सबसे ऊपर है जो गरीबों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है और उच्च मुद्रास्फीति को देखते हुए, आरबीआई ने दरें 4 गुना बढ़ा दी हैं, जिससे ईएमआई अधिक हो जाएगी और ऋण महंगा हो जाएगा।

श्रीनेट ने कहा, लेकिन मोदी शायद ही चिंतित हों, वे अभी भी खोखले नारों और झूठे वादों में लिप्त हैं। पहले आलू-सोना और अब ड्रोन से आलू उठाना, यही वह कर रहे हैं। पीएम की अक्षमता और उदासीनता के कारण किसान आत्महत्या कर रहे हैं।

पार्टी ने सवाल किया कि जब कच्चा तेल 116 डॉलर प्रति बैरल से गिरकर 91 डॉलर प्रति बैरल हो गया है, तो पेट्रोल और डीजल की कीमतों को नीचे क्यों नहीं लाया गया? सीएनजी और पीएनजी के दाम क्यों बढ़ाए गए हैं? क्या इसका असर गरीबों पर नहीं पड़ता?

उन्होंने आगे कहा कि 130 ट्रेनों के लिए ट्रेन का किराया बढ़ा दिया गया है, प्लेटफॉर्म टिकट की कीमतें 200 फीसदी बढ़ गई हैं, क्या इसका असर गरीबों पर नहीं पड़ता? आटा और दूध के दामों में आग लगी है, क्या यह गरीबों के बजट को प्रभावित नहीं करता? क्या हम यह सुनिश्चित नहीं कर सकते कि हमारे लोग भूख से संघर्ष न करें?

135 करोड़ के देश में 80 करोड़ लोग मुफ्त राशन लेने के लिए क्यों लाचार हैं? उन्हें इस मुकाम तक कौन लाया है?

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने महंगाई पर आरएसएस नेताओं की टिप्पणी के बाद कहा, भारत जोड़ो यात्रा का असर देखिए, जो देश को बांटने में शामिल थे, वे महंगाई और बेरोजगारी की बात कर रहे हैं।

कांग्रेस ही नहीं विपक्ष ने भी बीजेपी-आरएसएस पर हमला करने के मौके का फायदा उठाया है। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने सोमवार को सोशल मीडिया पर कहा कि आरएसएस के संगठन महासचिव दत्तात्रेय होसबले का यह बयान, जो कि भाजपा की जड़ है, का कहना है कि आर्थिक असमानता, गरीबी और बेरोजगारी बहुत खतरनाक है, भारत की वर्तमान परिस्थितियों का आईना है। उन्होंने कहा कि आरएसएस का यह बयान अच्छे दिन के दावों पर बड़ा सवाल हैं।

कुमारस्वामी ने कहा, देश में भाजपा के शासन के पिछले 7 वर्षों में कौन फला-फूला, किसने अपना सब कुछ खो दिया। होसबले ने कहा है कि 20 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं और 4 करोड़ युवा बेरोजगार हैं। फिर पिछले 7 वर्षों में कौन अमीर बन गया?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने लगातार बढ़ती आय असमानता, बेरोजगारी और गरीबी पर चिंता व्यक्त की थी।

होसाबले ने कहा कि पिछले 75 वर्षों में भारत ने कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं, लेकिन देश में गरीबी से त्रस्त, बेरोजगारी दर और आय असमानता की मात्रा अभी भी राक्षसों की तरह एक चुनौती बनी हुई है और इसे समाप्त करना बहुत महत्वपूर्ण है।

स्वावलंबी भारत अभियान के तहत रविवार को संघ से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच द्वारा आयोजित वेबिनार स्वावलंबन का शंखनाद में बोलते हुए होसबले ने कहा कि आज भी देश में 20 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं। देश के 23 करोड़ लोगों की प्रति व्यक्ति आय 375 रुपये से भी कम है।

उन्होंने कहा कि देश में बेरोजगारी दर 7.6 फीसदी है और चार करोड़ लोग बेरोजगार हैं। देश के ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बेरोजगारी की स्थिति को चिंताजनक बताते हुए संघ के वरिष्ठ नेता ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में 22 करोड़ लोग बेरोजगार हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में 18 करोड़ लोग बेरोजगार हैं।

इस बीच माकपा महासचिव ने इसी मुद्दे पर सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा, मोदी की नीतियां हमारी अर्थव्यवस्था को तबाह कर रही हैं। मैन्युफैक्च रिंग में गिरावट, ऐतिहासिक निचले स्तर पर रुपया, रिकॉर्ड ऊंचाई पर व्यापार घाटा, महंगाई बेकाबू होकर लोगों के दुखों को बढ़ा रही है।

--आईएएनएस

पीके/एएनएम

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