श्रीनगर, 31 अक्टूबर (आईएएनएस)। प्रोफेसर ऑफ एमिनेंस (डॉ.) संजीव पी. साहनी, जिंदल इंस्टीट्यूट ऑफ बिहेवियरल साइंसेज (जेआईबीएस) के प्रिंसिपल डायरेक्टर और वर्ल्ड सोसाइटी ऑफ विक्टिमोलॉजी (डब्ल्यूएसवी) के उपाध्यक्ष ने श्रीनगर के अमर सिंह क्लब में शिक्षकों की एक सभा में स्कूल के प्रधानाध्यापकों, शिक्षकों और परामर्शदाताओं के लिए इमोशनल वेल-बीइंग एंड स्ट्रेस मैनेजमेंट पर एक शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया। क्षेत्र के 30 स्कूलों के 150 से अधिक शिक्षकों ने शनिवार को सत्र में भाग लिया, जिसमें माइंडफुलनेस, मेडिटेशन और शारीरिक व्यायाम जैसी तनाव प्रबंधन तकनीकों को शामिल करके एक सही कार्य-जीवन संतुलन बनाए रखने के महत्व पर बल दिया।
जेआईबीएस में सेंटर फॉर लीडरशिप एंड चेंज के प्रमुख डॉ. साहनी ने कहा, सामाजिक जिम्मेदारी की गहरी भावना से प्रेरित जिंदल इंस्टीट्यूट ऑफ बिहेवियरल साइंसेज (जेआईबीएस) स्कूल शिक्षकों के लिए व्यापक सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रमों में संलग्न है, जो उन्हें निशुल्क क्षमता-निर्माण प्रशिक्षण प्रदान करता है। हमारे लक्षित दर्शकों में भारत भर के विविध स्कूलों के शिक्षक, स्कूल के लीडर्स और प्रशासक शामिल हैं, साथ ही इंडोनेशिया, केन्या, नाइजीरिया, श्रीलंका जैसे अन्य निम्न और मध्यम आय वाले देशों में भी शामिल हैं।
यह उल्लेख करना उचित है कि डॉ साहनी द्वारा आयोजित प्रमुख शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली है, वर्तमान मॉड्यूल को प्रसिद्ध व्हार्टन-क्यूएस क्वाक्वेरेली साइमंड्स सस्टेनेबिलिटी एजुकेशन अवार्डस के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया है। इसे दुनिया भर में शीर्ष 12 प्रतिशत नवाचारों में स्थान दिया गया है।
अभी तक डॉ. साहनी और जेआईबीएस के शोधकर्ताओं की उनकी टीम ने दुनिया भर के 8,000 से अधिक स्कूलों में 1,80,000 से अधिक शिक्षकों और स्कूल प्रशासकों को प्रशिक्षित किया है।
डॉ साहनी ने कहा,हम एक फ्लेक्सिबल वातावरण, लर्निग कल्चर इनटेंशनल कंटेंट और प्रोफेशनल शिक्षकों (एफएलआईपी) मॉडल का उपयोग करके उच्च शिक्षा के संदर्भ से प्रेरित एक अस्पष्टीकृत ²ष्टिकोण को लागू करते हैं।
शिक्षकों और स्कूल के कर्मचारियों को ठोस तनाव प्रबंधन तकनीकों का अभ्यास करने में मदद करने के लिए, ये शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम भारत के अलावा यूएई, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, किर्गिस्तान, म्यांमार, इंडोनेशिया, श्रीलंका, बुल्गारिया और मालदीव जैसे देशों के विभिन्न स्कूलों में भी आयोजित किए गए हैं।
डिस्प्रेक्सिया या डेवेलप्मेंट कोऑर्डिनेशन डिसऑर्डर्स (डीसीडी) जैसे विकारों से निपटने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों के दायरे का विस्तार किया जा रहा है। डॉक्टर साहनी ने कहा, हमने देश के दूरदराज के स्कूलों तक पहुंचने के अपने प्रयास में प्रासंगिक विषयों को शामिल करने के लिए अपने निशुल्क प्रशिक्षण मॉड्यूल को भी विकसित किया है। इस प्रयास के साथ, हमने भारत और विदेशों में वंचित समुदायों तक पहुंच और सामथ्र्य को आगे बढ़ाया है।
--आईएएनएस
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