नई दिल्ली, 27 नवंबर (आईएएनएस)। भारत स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए 300 मेगावाट क्षमता वाले छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों (एसएमआर) के विकास के लिए कदम उठाया जा रहा है। रविवार को केंद्रीय विज्ञान और परमाणु ऊर्जा राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि भारत में इस महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी के विकास में निजी क्षेत्र और स्टार्टअप को भागीदारी करने की जरूरत है। उन्होंने बल देकर कहा कि एसएमआर प्रौद्योगिकी की वाणिज्यिक उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी साझाकरण और फंड की उपलब्धता दो महत्वपूर्ण लिंक हैं।300 मेगावाट तक की क्षमता वाले छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर) प्राकृतिक रूप से डिजाइन में लचीले होते हैं और इसमें छोटे फुटप्रिंट की जरूरत होती है। मोबाइल और दक्ष तकनीक होने के कारण, एसएमआर पारंपरिक परमाणु रिएक्टरों के विपरीत संयंत्रों में भी तैयार हो सकते हैं। इस प्रकार, एसएमआर लागत और निर्माण समय में बहुत ही महत्वपूर्ण बचत करता है।
एसएमआर औद्योगिक डी-काबोर्नाइजेशन के लिए भरोसेमंद तकनीक है, विशेष रूप से जहां बिजली की आवश्यक और निरंतर आपूर्ति जरूरी होती है। कहा जाता है कि बड़े परमाणु संयंत्रों की तुलना में एसएमआर सरल और सुरक्षित होता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि देश में नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए अनेक उपाय किए गए हैं तथा भारत आज पूरे विश्व में नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापित क्षमता में चीन, यूरोप और अमरीका के बाद चौथे नंबर पर है। उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत वाले लक्ष्य के अनुरूप है, जहां भारत वैश्विक मूल्य श्रृंखला में अपना महत्वपूर्ण योगदान देता है।
गौरतलब है कि भारत, जहां पर विश्व की आबादी के 17 प्रतिशत लोग रहते हैं, ने पिछले दशक में अपनी प्राथमिक ऊर्जा में 4 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी की है, जो कि वैश्विक विकास दर 1.3 प्रतिशत से लगभग दोगुना है। हालांकि, ऐतिहासिक रूप से, वैश्विक उत्सर्जन में हमारी हिस्सेदारी 5 प्रतिशत से भी कम है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जलवायु प्रतिबद्धताओं के माध्यम से स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन के लिए नई स्वच्छ ऊर्जा विकल्पों की खोज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोडमैप के अनुरूप है।
केंद्र सरकार के मुताबिक, गैर-जीवाश्म आधारित ऊर्जा संसाधनों के लिए और 2070 तक पूर्ण रूप से शून्य प्राप्त करने के लिए स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन की दिशा में पहले ही कदम उठा चुके हैं। यह बेस लोड पावर के लिए परमाणु डी-काबोर्नाइजेशन रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि परमाणु ऊर्जा न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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