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बिहार के मखाना को वैश्विक बाजार उपलब्ध कराने के शुरू हुए प्रयास

प्रकाशित 30/11/2022, 09:20 pm
© Reuters.  बिहार के मखाना को वैश्विक बाजार उपलब्ध कराने के शुरू हुए प्रयास

पटना, 30 नवंबर (आईएएनएस)। बिहार के मखाना को अब वैश्विक बाजार उपलब्ध कराने के लेकर प्रयास किए जाने लगे हैं। इसी उद्देश्य को लेकर पटना में मखाना महोत्सव सह राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें मखाना से जुड़ी कंपनी और क्रेता और विक्रेता हिस्सा ले रहे हैं।बिहार दुनिया में मखाना का शीर्ष उत्पादक है। देश में उत्पादित होने वाले मखाना का लगभग 90 प्रतिशत उत्पादन बिहार में होता है।

पटना में आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन के पहले दिन मंगलवार को कृषि मंत्री सर्वजीत कुमार ने इस सम्मेलन का उद्घाटन किया। सम्मेलन में दिल्ली, गुजरात, पश्चिम बंगाल सहित देश के विभिन्न क्षेत्रों से निर्यातक सहित बिहार के उत्पादक भाग ले रहे हैं।

मंत्री ने बताया कि वर्तमान में 35 हजार हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में मखाना का उत्पादन हो रहा है। पॉप मखाना का उत्पादन वर्ष 2012-13 में 9,360 टन था, जो बढ़कर वर्तमान समय में लगभग 23.50 हजार टन हो गया है। उल्लेखनीय है कि बिहार के आठ जिलों कटिहार, दरभंगा, सुपौल, किशनगंज, पूर्णिया, सहरसा, अररिया और पश्चिमी चंपारण में किसानों को मखाना की खेती के लिए 75 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। विशिष्ट पहचान के लिए मिथिला मखाना नाम से जीआई टैग मिला है।

इस सम्मेलन में भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) सहित कई संस्थानों और निजी कंपनियों के स्टॉल लगाए गए हैं, जिसमें लोग मखाना से बने विभिन्न खाद्य पदार्थों को देख पा रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि बिहार के मधुबनी, दरभंगा, सुपौल, सीतामढ़ी, अररिया, कटिहार, पूर्णिया, किशनगंज मखाने की खेती के लिए विख्यात हैं। मिथिलांचल की पहचान कदम कदम पर पोखर (तालाब), मछली और मखाना के लिए दुनिया में जाना जाता है।

स्टॉल लगाने पहुंचे पीएलयू प्राइवेट लिमिटेड, दरभंगा के सीईओ राजीव रंजन कहते हैं कि भारत से मखाना जिन देशों में निर्यात किया जाता है, उसमें अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा सबसे आगे है। भारत से सालाना 100 टन मखाना ही निर्यात किया जाता है। सुनने में आपको ये मात्रा काफी कम लग रही होगी, लेकिन मखाना बहुत हल्का होता है इसलिए संख्या कम भारी नहीं है।

उन्होंने बताया कि भारत में हर साल 50-60 हजार टन मखाने के बीज की पैदावार होती है, जिससे 20-25 हजार टन मखाने का लावा निकलता है।

मखाना प्राकृतिक, शुद्ध आहार माना जाता है, जो व्रत में और ऐसे भी (बिना व्रत वाले दिन भी) हेल्दी स्नैक्स की तरह भारत के घरों में इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने दावा किया कि सेहत के लिए फायदेमंद होने की वजह से इसका व्यापार साल दर साल दुनिया में बढ़ता ही जा रहा है।

इधर, कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत कहते हैं कि बिहार के मखाना की ब्रांडिंग के लिए भारत के सभी एयरपोर्ट पर मखाना बेचने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कृषक उत्पादक समूहों को निर्यात के लिए लाइसेंस भी दिया जा रहा है।

--आईएएनएस

एमएनपी/एसकेपी

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