नई दिल्ली, 26 दिसम्बर (आईएएनएस)। इस्पात सेक्टर, निर्माण, अधोसंरचना, मोटर-वाहन, इंजीनियरिंग और रक्षा जैसे महžवपूर्ण सेक्टरों के लिये केंद्रीय भूमिका निभाता है। सरकार के मुताबिक साल दर साल इस्पात सेक्टर में जबरदस्त प्रगति दर्ज की गई है। देश अब इस्पात उत्पादन में वैश्विक शक्ति बन चुका है तथा कच्चे इस्पात के उत्पादन में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है। इस्पात मंत्रालय ने बताया कि स्वदेशी परिष्कृत इस्पात का उत्पादन पिछले वर्ष के मुकाबले 6.9 प्रतिशत अधिक हुआ है।मंत्रालय ने जो जानकारी दी है उसके अनुसार चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों (अप्रैल-नवंबर 2022) के दौरान इस्पात सेक्टर का प्रदर्शन काफी उत्साहवर्धक रहा है। स्वदेशी परिष्कृत इस्पात का उत्पादन पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 73.02 मिलियन टन के मुकाबले 78.090 मिलियन टन (एमटी) रहा, जो 6.9 प्रतिशत अधिक है। पिछले वर्ष की समान अवधि में 67.32 एमटी के परिष्कृत इस्पात खपत की तुलना में अप्रैल-नवंबर 2022 में खपत 75.3 एमटी दर्ज की गई, जो 11.9 प्रतिशत अधिक है। वहीं कच्चे इस्पात का 81.96 मिलियन टन रिकॉर्ड उत्पादन हुआ, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में हुई 77.58 एमटी खपत से 5.6 प्रतिशत अधिक है।
मंत्रालय ने बताया कि विशेष इस्पात के घरेलू उत्पादन के लिए पीएलआई योजना को मंत्रिमंडल द्वारा 6322 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ मंजूरी दी गई है। योजना के तहत पहचान किये गये विशिष्ट इस्पात के मद्देनजर पांच व्यापक श्रेणियां हैं, जहां इनका उपयोग किया जाता है। इनमें घरेलू उपकरण, मोटर-वाहन का ऊपरी ढांचा व पुर्जे, तेल और गैस आपूर्ति के पाइप, बॉयलर, बैलिस्टिक और आर्मर शीट, हाई-स्पीड रेलवे लाइनें, टरबाइन पुर्जे, वितरण और बिजली ट्रांसफार्मर शामिल हैं।
जानकारी के मुताबिक यह योजना वित्त वर्ष 2023-24 (पीएलआई वित्त वर्ष 2024-25 में जारी की जाएगी) से शुरू होने वाली है। विशिष्ट स्टील के लिए उत्पादनयुक्त प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत 30 कंपनियों के 67 आवेदनों का चयन किया गया है। यह 26 मिलियन टन की उत्पादन व बिक्री क्षमता और 70 हजार की रोजगार सृजन क्षमता के साथ 42500 करोड़ रुपये के निश्चित निवेश को आकर्षित करेगी।
मंत्रालय ने ये भी बताया कि उन्होंने देश में उत्पादित इस्पात की मेड इन इंडिया ब्रांडिंग की पहल की है। प्रमुख इस्पात उत्पादकों को इस्पात के लिए मेड इन इंडिया ब्रांडिंग के महžव के बारे में बताया गया है। इस्पात मंत्रालय ने सभी प्रमुख उत्पादकों (आईएसपी), डीपीआईआईटी और क्यूसीआई के साथ मेड इन इंडिया ब्रांडिंग के लिए एक सामान्य मानदंड विकसित करने और ब्रांडिंग के लिए क्यूआर कोड में शामिल किए जाने वाले मापदंडों के बारे में कई बार चर्चा की। व्यापक विचार-विमर्श के बाद एक सामान्य मानदंड को अंतिम रूप दिया गया है।
--आईएएनएस
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