रायपुर, 16 फरवरी (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचल और सुदूर वनांचल क्षेत्र में रोजगार के अवसर मुहैया कराने के साथ वनोपज की खरीदी को प्रोत्साहित किए जाने से लोगों की इसमें अभिरुचि बढ़ी है। अब राज्य में पहले की तुलना में चार गुना लोग वनोपज संग्राहक के काम में लगे हुए हैं। छत्तीसगढ़ पूरे देश का सबसे बड़ा वनोपज संग्राहक राज्य है। इस वर्ष राज्य सरकार ने 120 करोड़ रूपए का भुगतान वनोपज संग्राहकों को किया है। राज्य में पहली बार समर्थन मूल्य पर कोदो, कुटकी, रागी की खरीदी की गई। लघु धान्य फसलों को बढ़ावा देने के लिए मिलेट मिशन भी चलाया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ में देश का 74 प्रतिशत लघु वनोपज संग्रहित होता है। सरकार ने संग्राहकों के हित में लघु वनोपजों की संख्या में नौ गुना वृद्धि करते हुए सात से बढ़ाकर 65 लघु वनोपजों की खरीदी करने का निर्णय लिया। यही कारण है कि इन चार सालों में संग्राहकों की संख्या में भी चार गुना से ज्यादा की बढ़ोत्तरी हुई है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने अन्य राज्यों की तुलना में पेसा कानून को लेकर बेतहतर प्रावधान बनाए हैं ताकि वनांचलों में स्थानीय स्वशासन सशक्त हो सके और वन में रहने वाले लोगों को ज्यादा अधिकार मिल सके।
बताया गया है कि संग्राहकों के हित में तेन्दूपत्ता संग्रहण दर 25 सौ रूपए से बढ़ाकर चार हजार रूपए प्रति मानक बोरा किया गया है, वहीं संग्राहको को चार वर्ष में 2146.75 करोड़ रूपए तेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक एवं 339.27 करोड़ रूपए प्रोत्साहन पारिश्रमिक का भुगतान किया गया है। संग्राहक परिवारों के हित में शहीद महेन्द्र कर्मा तेन्दूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत अब तक 4692 हितग्राहियों को 71.02 करोड़ रूपए की सहायता प्रदान की गई है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने लाख उत्पादन को कृषि का दर्जा दिया है और लाख उत्पादक कृषकों को अल्पकालीन ऋण प्रदान करने की योजना भी लागू की है, जिसके प्रभाव स्वरूप आज लाख उत्पादक किसान आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं।
--आईएएनएस
एसएनपी/एसकेपी