नई दिल्ली, 28 फरवरी (आईएएनएस)। समुद्र तल से निकेल, लिथियम और कोबाल्ट जैसे महत्वपूर्ण खनिजों की तलाश के लिए सरकार अपतटीय खनिज अधिनियम में संशोधन करने की योजना बना रही है। यह कदम इन आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों के आयात पर भारत की निर्भरता को कम करने में मदद करेगा।उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि साल भर चलने वाले रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण आपूर्ति श्रृंखला बाधित होने के बीच केंद्र की योजना देश के भीतर इन खनिजों की तलाश करने की है, बजाय इसके कि उन्हें विदेशों में खोजना मुश्किल हो जाए।
घटनाक्रम से वाकिफ सूत्रों ने बताया कि इस आलोक में खान मंत्रालय की योजना उन्हें समुद्र तल से खनन करने की है, क्योंकि वहां कोई हिस्सेदारी उपलब्ध नहीं है।
सूत्रों ने कहा कि समुद्री तल में महत्वपूर्ण खनिज ब्लॉकों की पहचान करने की प्रक्रिया अभी जारी है।
सूत्रों ने आगे कहा कि इन महत्वपूर्ण खनिजों का खनन हो जाने के बाद सरकार उन्हें बिक्री के लिए रखने की योजना बना रही है और यहां तक कि निजी संस्थाओं को अपतटीय खनिज अधिनियम में संशोधन करके नीलामी के माध्यम से उत्पादन पट्टे दिए जाएंगे।
खान मंत्रालय अपतटीय क्षेत्र खनिज (विकास और नियमन) कानून, 2002 में संशोधन कर रहा है और इस पर हितधारकों की राय मांगी है।
सूत्रों ने कहा कि मौजूदा भू-राजनीतिक स्थिति के कारण ऐसे रणनीतिक खनिजों को खोजना पहले से ही कठिन है, लेकिन उनकी उपलब्धता और भी कठिन हो सकती है, इसलिए सरकार उन्हें प्राथमिकता के आधार पर प्राप्त करने की योजना बना रही है।
कंप्यूटर, मोबाइल फोन, इलेक्ट्रिक वाहन और उनकी बैटरी, अर्धचालक और सौर पैनल जैसे आधुनिक तकनीकी उपकरणों के साथ-साथ रक्षा उपकरण के लिए महत्वपूर्ण खनिज अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
--आईएएनएस
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