रांची, 20 जून (आईएएनएस)। झारखंड के 29 हजार से ज्यादा किसानों के चेहरे पर मायूसी है। इसकी वजह है धान खरीदारी के पांच महीने बाद भी सरकार की ओर से धान की बकाया राशि 163 करोड़ का भुगतान न होना। किसान ये सोचकर चिंतित हैं कि मानसून ने दस्तक दे दी और अभी भी पैसे नहीं मिले तो वे इस साल फसल के लिए जुताई, कोड़ाई, बीज-खाद कैसे खरीदेंगे।इन किसानों ने सरकार की ओर स्थापित 617 क्रय केंद्रों के जरिये अपने धान बेचे थे। झारखंड सरकार ने राज्य के किसानों से 36 लाख क्विंटल धान की खरीदारी का लक्ष्य रखा था, लेकिन वास्तविक खरीदारी 17.25 लाख क्विंटल धान की हुई जो लक्ष्य का 47.52 प्रतिशत है।
आंकड़ों के मुताबिक राज्यभर में 2 लाख 29 हजार 814 किसानों ने धान बेचने के लिए लैंपस में अपना पंजीकरण कराया था, लेकिन इनमें से 31 हजार 855 किसानों से ही धान लिया गया। इसके एवज में किसानों का 3 अरब, 53 करोड़, 63 लाख और 76 हजार रुपये का भुगतान करना था। पर विभाग की ओर से अब तक एक अरब 90 करोड़ 48 लाख रुपये का ही भुगतान किया गया है। यह कुल भुगतान का 53.86 प्रतिशत है।
धान बेचनेवाले 31 हजार 855 किसानों में से 31 हजार 821 किसानों को पहली किस्त के रूप में एक अरब 75 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। वहीं, दूसरी किस्त के रूप में 2832 किसानों को 14 करोड़ 50 लाख रुपये का भुगतान किया गया है। 2786 किसानों को बोनस के रुप में 13 लाख 95 हजार से अधिक का भुगतान किया गया है। राज्य में 34 किसान ऐसे भी हैं जिन्हें न तो पहली और न ही दूसरी किस्त का भुगतान किया गया है।
जानकार बताते हैं कि राज्य के कई लैंपस ऐसे हैं जहां से धान का उठाव भी नहीं हुआ है। ऐसे में मानसून के नजदीक आते ही ऐसे किसानों की परेशानी बढ़ गयी है जो विभाग से बकाया भुगतान की उम्मीद लगाकर बैठे हैं।
हालांकि झारखंड स्टेट फूड कॉरपोरेशन के एमडी यतींद्र प्रसाद ने किसानों के बकाये का जल्द भुगतान का आश्वासन दिया है। उन्होंने बताया कि अब मिल में चावल आ रहा है और किसानों की राशि का भुगतान जल्द कर दिया जायेगा।
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