तिरुवनंतपुरम, 26 अगस्त (आईएएनएस)। केरल में जमकर जश्न मनाया जा रहा है। तिरुवनंतपुरम लोकसभा सांसद शशि थरूर को धन्यवाद जिन्होंने दुनिया के साथ साझा किया कि चंद्रयान -3 मिशन टीम का हिस्सा बनने वाले प्रमुख वैज्ञानिकों ने राज्य के दो इंजीनियरिंग कॉलेजों से स्नातक किया है।थरूर ने एक्स पर पोस्ट किया, "इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ टीकेएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, कोल्लम के छात्र हैं। उनके अन्य सहयोगियों ने कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, (सीईटी) तिरुवनंतपुरम से स्नातक किया है।"
संयोग से सोमनाथ का अल्मा मेटर पहला सरकारी सहायता प्राप्त इंजीनियरिंग कॉलेज है जिसकी आधारशिला वर्ष 1956 में स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने रखी थी।
कॉलेज का औपचारिक उद्घाटन 3 जुलाई 1958 को तत्कालीन वैज्ञानिक और सांस्कृतिक मामलों के मंत्री प्रोफेसर हुमायूँ कबीर द्वारा किया गया था।
राज्य के पहले इंजीनियरिंग कॉलेज सीईटी ने इंजीनियरों की एक श्रृंखला तैयार की है और यह क्रम बदस्तूर जारी है। यह हमेशा किसी भी संभावित इंजीनियरिंग छात्र की पहली पसंद रहा है।
इसी वजह से थरूर ने लिखा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख एस. सोमनाथ भी इसी इंजीनियरिंग कॉलेज के उत्पाद हैं।
थरूर ने पोस्ट में लिखा, "सराहनीय है: इसरो प्रमुख डॉ. सोमनाथ टीकेएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, कोल्लम, केरल के एक उत्पाद हैं और उनके कई सहयोगियों ने कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, तिरुवनंतपुरम (सीईटी) से स्नातक किया है। कम से कम सात अन्य
सीईटी के इंजीनियर चंद्रयान-3 की सफलता में शामिल थे - मोहना कुमार (मिशन निदेशक/मैकेनिकल), अथुला (इलेक्ट्रॉनिक्स), सतीश (मैकेनिकल), नारायणन (एसोसिएट मिशन डायरेक्टर/मैकेनिकल), मोहन
(मैकेनिकल) और शोरा (इलेक्ट्रॉनिक्स)।''
थरूर ने यह भी कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता "गुमनाम इंजीनियरिंग कॉलेजों के पूर्व छात्रों को सलाम करने" का एक अच्छा अवसर है।
थरूर ने अपने पोस्ट में लिखा, "भारतीयों का आईआईटी के प्रति जुनून सही है, लेकिन आइए गुमनाम इंजीनियरिंग कॉलेजों के पूर्व छात्रों को सलाम करें जो समर्पण के साथ सार्वजनिक क्षेत्र की सेवा करते हैं और जो इसरो जैसे राष्ट्रीय उद्यमों की रीढ़ हैं। आईआईटीयन सिलिकॉन वैली गए; सीटियन हमें चंद्रमा पर ले गए! "
--आईएएनएस
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