नई दिल्ली, 25 सितंबर (आईएएनएस)। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की एक रिपोर्ट के अनुसार, 24 सितंबर तक अखिल भारतीय संचयी वर्षा की कमी सामान्य से 6 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है, जबकि पिछले सप्ताह यह सामान्य से 8 प्रतिशत कम थी, चार में से दो क्षेत्रों में सामान्य से कम वर्षा हुई। रिपोर्ट के अनुसार, जबकि उत्तर-पश्चिमी भारत (सामान्य से 2 प्रतिशत अधिक) और मध्य भारत (सामान्य) में क्रमशः सामान्य और सामान्य से अधिक वर्षा हुई, दक्षिण प्रायद्वीप (सामान्य से 9 प्रतिशत कम) और पूर्वी-उत्तरपूर्वी क्षेत्रों (सामान्य से 17 प्रतिशत कम) में कम वर्षा देखी गई है।
इस महीने 23 सितंबर तक बारिश सामान्य से 17 प्रतिशत अधिक थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि 122 वर्षों में सबसे शुष्क अगस्त के बाद मानसून के बदलाव ने खाद्य मुद्रास्फीति के दबाव को कम कर दिया है, हालांकि एल नीनो की चिंता बनी हुई है।
23 सितंबर तक खरीफ की बुआई पिछले साल की तुलना में 0.3 प्रतिशत अधिक है। धान की खेती का रकबा अब पिछले वर्ष की तुलना में 2.7 प्रतिशत अधिक है। हालांकि, दालों का रकबा अभी भी पिछले साल की तुलना में 4.6 प्रतिशत कम (जो कि पिछले सप्ताह के -5.2 प्रतिशत से बेहतर है) है।
जूट, कपास और तिलहन का उत्पादन भी कम है। मोटे अनाज (वर्ष-दर-वर्ष 1.3 प्रतिशत) और गन्ना (वर्ष-दर-वर्ष 7.6 प्रतिशत) का अच्छा प्रदर्शन जारी है।
कम बारिश और इसके परिणामस्वरूप चावल और दालों की कम बुआई के कारण कीमतें ऊंची हो गई हैं। समग्र सीपीआई बास्केट में चावल का हिस्सा लगभग 4.4 प्रतिशत और दालों का भार 6 प्रतिशत है। 21 सितंबर तक, जल भंडार का स्तर लाइव स्टोरेज क्षमता का 71 प्रतिशत था, जो पिछले पांच वर्षों के औसत 82 प्रतिशत से कम है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कम बारिश का भूजल और जलाशयों के स्तर पर असर पड़ेगा, जिससे रबी की बुआई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
--आईएएनएस
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