मुंबई, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। पश्चिम एशिया में जारी संघर्ष के बीच सुरक्षित निवेश की तलाश और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक से पहले ब्याज दरों में बढ़ोतरी रोकने की उम्मीदों के कारण मांग आने से सोने में लगातार दूसरे सप्ताह तेजी रही और इसकी कीमतें शुक्रवार को तीन महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं।सोने को राजनीतिक और वित्तीय अनिश्चितता के समय में सुरक्षित मूल्य भंडार के रूप में देखा जाता है। इस सप्ताह अब तक इसकी कीमत 2.2 प्रतिशत बढ़ चुकी है।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) में शुक्रवार को सोने के दाम 60 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम को पार कर गये और दोपहर के कारोबार में 60,313 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गये। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें करीब 1,976.40 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस थीं।
इस साल 5 दिसंबर को परिपक्व होने वाला सोना वायदा 272 रुपये की मामूली बढ़ोतरी के बाद एमसीएक्स पर 60,615 रुपये प्रति 10 ग्राम पर था।
जैसे-जैसे इज़राइल-हमास युद्ध तीव्र होता जा रहा है, ऐसी आशंका है कि यह अमेरिका और ईरान से जुड़े एक व्यापक भू-राजनीतिक संकट में बदल सकता है। इजराइल द्वारा गाजा पर जमीनी हमले की तैयारी और अमेरिका द्वारा इस क्षेत्र में दो विमानवाहक पोत भेजने से ये आशंकाएं और भी बढ़ गई हैं। संघर्ष में किसी भी तेजी से तेल आपूर्ति बाधित हो सकती है और दुनिया भर में आर्थिक अनिश्चितता पैदा हो सकती है।
अमेरिकी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, फेड अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने कहा कि वह "सैद्धांतिक रूप से" सहमत हैं कि सरकारी बॉन्ड पर ब्याज में वृद्धि वित्तीय स्थितियों को और मजबूत करने में मदद कर रही है और इससे अतिरिक्त दर वृद्धि की आवश्यकता कम हो सकती है।
एचडीएफसी (NS:HDFC) सिक्योरिटीज में कमोडिटी और करेंसी के प्रमुख अनुज गुप्ता, सोने की कीमतों में हालिया वृद्धि का श्रेय ब्याज दरों में बढ़ोतरी पर चेयरमैन जेरोम पॉवेल के नरम रुख को देते हैं। इससे अमेरिकी डॉलर की तेजी रुक गई है, जिससे सोने की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है।
फिच सॉल्यूशंस ने 2023 में सोने की कीमतों के लिए तटस्थ रुख अपनाया है और औसतन 1,950 डॉलर प्रति औंस का अनुमान लगाया है।
--आईएएनएस
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