नई दिल्ली, 24 सितम्बर (आईएएनएस)। वार्षिक विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) लगभग दोगुना होकर 83 बिलियन डॉलर हो गया है। वहीं निवेश की सुविधा और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रमुख योजना मेक इन इंडिया ने आठ साल पूरे कर लिए हैं।वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार, 2014-2015 में एफडीआई प्रवाह 45.15 अरब डॉलर था। वर्ष 2021-22 में 83.6 अरब डॉलर का अब तक का सबसे अधिक एफडीआई दर्ज किया गया।
मंत्रालय के अनुसार, विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए, सरकार ने एक उदार और पारदर्शी नीति बनाई है जिसमें अधिकांश क्षेत्र स्वचालित मार्ग के तहत एफडीआई के लिए खुले हैं।
मंत्रालय ने शनिवार को कहा, वर्ष 2021-22 ने उच्चतम एफडीआई को 83.6 अरब डॉलर में दर्ज किया। यह एफडीआई 101 देशों से आया है, जिसे 31 राज्यों और यूटीएस और देश के 57 क्षेत्रों में निवेश किया गया है। हाल के वर्षो में आर्थिक सुधारों और व्यापार करने में आसानी की पीठ पर, भारत चालू वित्तीय वर्ष में 10 अरब डॉलर एफडीआई को आकर्षित करने के लिए ट्रैक पर है।
इसमें कहा गया है कि 14 प्रमुख विनिर्माण क्षेत्रों में उत्पादन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना 2020-21 में मेक इन इंडिया इनिशिएटिव के लिए एक बड़े बढ़ावे के रूप में लॉन्च की गई थी।
पीएलआई योजना रणनीतिक विकास क्षेत्रों में घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करती है जहां भारत को तुलनात्मक लाभ है। इसमें घरेलू विनिर्माण को मजबूत करना, लचीला आपूर्ति श्रृंखला बनाना, भारतीय उद्योगों को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना और निर्यात क्षमता को बढ़ावा देना शामिल है। पीएलआई योजना से एमएसएमई इको-सिस्टम तक फैले लाभ के साथ उत्पादन और रोजगार के लिए महत्वपूर्ण लाभ उत्पन्न होने की उम्मीद है।
विश्व अर्थव्यवस्था में अर्धचालकों के महत्व को पहचानते हुए, सरकार ने भारत में एक अर्धचालक, प्रदर्शन और डिजाइन पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए 10 अरब डॉलर की प्रोत्साहन योजना शुरू की है।
घरेलू खिलौना निर्माताओं के ईमानदार प्रयासों से पूरक, भारतीय खिलौना उद्योग की वृद्धि कोविड-19 महामारी के बावजूद दो साल से भी कम समय में उल्लेखनीय रही है।
वित्त वर्ष 2021-22 में खिलौनों का आयात 70 प्रतिशत तक कम हो गया। घरेलू बाजार में खिलौनों की गुणवत्ता में एक अलग सुधार हुआ है।
इसके साथ ही, उद्योग के प्रयासों ने वित्त वर्ष 21-22 में 2,601.5 करोड़ रुपये के खिलौनों का निर्यात किया है, जो वित्त वर्ष 18-19 में 1,612 करोड़ रुपये से अधिक 61 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि है।
--आईएएनएस
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