कोलंबो, 15 दिसंबर (आईएएनएस)। श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने गुरुवार को एशियाई सशस्त्र बलों के उदय को रेखांकित किया और कुछ पश्चिमी समकक्षों की तुलना में उनकी पर्याप्त क्षमताओं का उल्लेख किया।
विक्रमसिंघे ने डिफेंस सर्विसेज कमांड एंड स्टाफ कॉलेज (डीएससीएससी) कोर्स 17 पुरस्कार समारोह में बोलते हुए सैन्य शिक्षा में व्यापक अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य की आवश्यकता पर जोर दिया और उभरते वैश्विक परिदृश्य पर प्रकाश डाला।
भारत, बांग्लादेश, नेपाल, पाकिस्तान, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, मालदीव, रवांडा, सेनेगल, अमेरिका और जाम्बिया जैसे देशों के 25 विदेशी सैन्य अधिकारियों सहित कुल 148 ने पाठ्यक्रम पूरा किया।
विक्रमसिंघे ने श्रीलंकाई पाठ्यक्रमों में विभिन्न देशों के अधिकारियों के लिए अधिक अवसर प्रदान करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की और श्रीलंका की सीमाओं से परे छात्रों के बीच विविध अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधित्व पर खुशी व्यक्त की।
उन्होंने तीन रक्षा अकादमियों के बीच वैश्विक सहयोग के महत्व को मजबूत करते हुए विभिन्न देशों के अधिकारियों और कैडेटों को अवसर प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
राष्ट्रपति ने वर्तमान दशक में हो रहे गहन परिवर्तनों का हवाला देते हुए विचार विनिमय और अंतर्राष्ट्रीय बातचीत के महत्व पर भी जोर दिया।
उन्होंने नए तरीकों, रणनीतियों, प्रौद्योगिकियों और वैश्विक स्थितियों की भविष्यवाणी करते हुए प्रमुख भू-राजनीतिक बदलावों की रूपरेखा तैयार की, जिनका दुनिया भर में सशस्त्र बलों को दशक के अंत तक सामना करना पड़ेगा।
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