बीजिंग, 24 दिसंबर (आईएएनएस)। अशोक कंठ चीन में भारतीय राजदूत रह चुके हैं, और भारतीय विदेश मंत्रालय में भारत-चीन संबंधों के लिए जिम्मेदार के रूप में भी उन्होंने काम किया है। हाल ही में चाइना मीडिया ग्रुप के संवाददाता ने उनका साक्षात्कार किया। चीन के विकास पर चर्चा करते हुए अशोक कंठ ने कहा कि चीन की प्रगति पिछले चार दशकों में बहुत प्रभावशाली रही है। वर्ष 2023 में चीन और विश्व के बाकी देश कोविड महामारी से निकल रहे हैं। हालांकि चीन में जो आर्थिक विकास की दर थी वह पहले से कम हो गयी है, लेकिन "मुझे पूरा विश्वास है कि चीन का विकास होता रहेगा"।उन्होंने कहा कि चीन अमेरिका के बाद दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। एक राजनयिक के रूप में मैंने तीन बार चीन में काम किया है। मेरे ख्याल से भारत-चीन संबंध कुछ चिंताजनक हैं। दोनों को गहन तौर से बातचीत करनी चाहिये। और यह कोशिश करनी चाहिए कि हम किस तरह से संबंधों को फिर से पटरी पर ला पाएंगे?भारत और चीन दोनों में यह दिलचस्पी है कि एक बार फिर हमारे संबंध सकारात्मक हो जाएं क्योंकि हम मित्रता चाहते हैं। चीन और भारत पड़ोसी देश हैं, और विश्व में सबसे बड़ी जनसंख्या वाले देश भी हैं। कई वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिये भारत और चीन को साथ मिलकर काम करने की ज़रूरत है।
वैश्वीकरण के बारे में अशोक कंठ ने कहा कि भारत और चीन दोनों ने वैश्वीकरण से बहुत लाभ उठाया है। हम चाहेंगे कि वैश्वीकरण की प्रक्रिया मजबूत रहे। वैश्वीकरण को छोड़कर हम काम नहीं कर सकते। पर वैश्वीकरण का भविष्य कैसा होगा?इस बारे में नयी सोच ढूंढ़ने पड़ेगी।
चीन-अमेरिका संबंधों की चर्चा में उन्होंने कहा कि चीन-अमेरिका संबंध विश्व के लिये बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये दोनों देश विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं। इनके संबंध अगर सकारात्मक हैं, तो यह न सिर्फ़ भारत के लिये बल्कि विश्व के लिये भी अच्छा होगा। अगर चीन और अमेरिका के बीच संघर्ष हो, तो यह भारत के हित में नहीं है। हाल ही में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच सैन फ्रांसिस्को में सकारात्मक वार्तालाप हुआ। हमें आशा है कि चीन और अमेरिका दोनों प्रमुख देश के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए युद्ध की तरफ़ नहीं जाएंगे।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
--आईएएनएस
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