ढाका, 13 अगस्त (आईएएनएस)। बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने देश में अल्पसंख्यकों पर हो रही बर्बरता को लेकर कहा कि मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता स्थापित करना उनके प्रमुख लक्ष्यों में से एक है, क्याेंकि हिंदू शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे के बाद से (5 अगस्त) हिंसा का सामना कर रहे हैं।
मुहम्मद यूनुस ने ढाका में 800 साल पुराने हिंदू समुदाय के ढाकेश्वरी राष्ट्रीय मंदिर का दौरा किया।
इस दौरान उन्होंने कहा, ''देश में सभी को समान अधिकार प्राप्त है। हमारे बीच कोई भेदभाव नहीं है। कृपया धैर्य रखें और बाद में हमें परखें कि हमने क्या किया और क्या नहीं। अगर हम असफल होते हैं तो आलोचना करें।''
पिछले सप्ताह हसीना के भारत रवाना होने के बाद से पिछले कई दिनों में कट्टरपंथियों द्वारा उनके घरों, व्यवसायों और यहां तक कि मंदिरों को निशाना बनाया जा रहा है। इसमें सैकड़ों हिंदू घायल बताए जा रहे हैं।
यूनुस ने बांग्लादेश पूजा उत्सव परिषद के अध्यक्ष वासुदेव धर और महासचिव संतोष शर्मा की उपस्थिति में कहा, ''हमारी लोकतांत्रिक भावना में हमें मुसलमान, हिंदू या बौद्ध नहीं बल्कि इंसान के रूप में देखा जाना चाहिए। हमें अपने अधिकारों का दावा करना चाहिए। सभी समस्याओं की जड़ में संस्थागत व्यवस्था की कमजोरी है। इसी कारण ऐसी समस्याएं पैदा होती हैं। संस्थागत व्यवस्थाओं में सुधार की जरूरत है।''
अंतरिम सरकार के कानूनी और धार्मिक मामलों के सलाहकार आसिफ नजरूल और ए.एफ.एम. खालिद हुसैन भी यूनुस के साथ मंदिर गए थे।
सोमवार को हुसैन ने अल्पसंख्यकों पर हमले की निंदा की थी और आश्वासन दिया था कि मौजूदा सरकार सांप्रदायिक सद्भाव में विश्वास करती है।
सचिवालय में आयोजित एक मीडिया ब्रीफिंग में हुसैन ने जोर देकर कहा कि अल्पसंख्यक समुदायों पर हमले "उपद्रवियों" द्वारा किए गए थे और अंतरिम सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि नष्ट किए गए घरों और मंदिरों की सूची तैयार की जा रही है और पीड़ितों को वित्तीय सहायता दी जाएगी।
बता दें कि यह हिंसा अंतरिम सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है, जिसने 8 अगस्त को मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में शपथ ली है।
शनिवार को चटगांव के मध्य में हजारों की संख्या में हिंदू एकत्रित हुए और समुदाय पर हो रहे हमलों के खिलाफ एक विशाल विरोध रैली निकाली तथा देश के नागरिकों के रूप में सुरक्षा और समान अधिकारों की मांग की।
बांग्लादेश हिंदू-बौद्ध-ईसाई ओइक्या परिषद ने भी यूनुस को एक खुला पत्र भेजा था, जिसमें अल्पसंख्यकों के खिलाफ एक विशेष समूह की अभूतपूर्व हिंसा पर गहरा दुख और चिंता व्यक्त की गई थी।
-आईएएनएस
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