इस्लामाबाद, 22 अगस्त (आईएएनएस)। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने गुरुवार को अपनी होने वाली रैली को स्थगित कर दिया है। इस रैली को एनओसी नहीं दी गई, इसके बावाजूद पीटीआई और कुछ धार्मिक संगठन रैली करने पर अड़े रहे। इसके बाद सरकार ने राजधानी इस्लामाबाद को चारों तरफ से सील कर दिया। पीटीआई की रैली अब सितंबर में होगी।इन धार्मिक दलों में जमात-ए-इस्लामी (जेआई) और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई) शामिल हैं, जो मुबारक अहमद सानी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
राजधानी के सभी संपर्क मार्गों को कंटेनरों से जाम कर दिया गया, जिससे इस्लामाबाद में बाहरी लोगों का प्रवेश पूरी तरह से बंद हो गया। प्रशासन ने शहर में धारा 144 लागू कर दी है। इसके अलावा सभी शैक्षणिक संस्थान एक दिन के लिए बंद कर दिए गए। सरकार का कहना है कि सुरक्षा का खतरा गंभीर है।
एक दिन पहले ही प्रशासन ने तरनोल क्षेत्र में पीटीआई की सार्वजनिक सभा के लिए एनओसी को 24 घंटे से भी कम समय में रद्द कर दिया। पीटीआई ने पहले घोषणा की थी कि एनओसी रद्द होने के बावजूद सभा आयोजित की जाएगी। हालांकि बाद में इस सभा को 8 सितंबर तक ले लिए टाल दिया गया। पीटीआई के वरिष्ठ नेता आजम स्वाति ने आरोप लगाया कि सरकार अशांति फैलाने के लिए रैली का फायदा उठाने की कोशिश कर रही है और इसका दोष पीटीआई पर मढ़ रही है।
पीटीआई पिछले पांच महीनों से राजधानी में राजनीतिक सभा आयोजित करने के लिए संघर्ष कर रही है। प्रशासन ने अनुमति में देरी की रणनीति अपनाई और अनुमोदित होने के बावजूद, अंतिम समय में इसे रद्द कर दिया।
सरकार ने कहा कि उसने पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी), उपायुक्त, और मुख्य आयुक्त कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों, आईएसआई (इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस), एमआई (मिलिट्री इंटेलिजेंस), इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के साथ बैठक की थी। बैठक में निर्णय लिया गया कि सुरक्षा चिंताएं अधिक हैं और कानून एवं व्यवस्था की स्थिति पर चिंता के मद्देनजर ऐसी सभा की अनुमति नहीं दी जा सकती।
बता दें, मुबारक अहमद सानी मामले में पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ धार्मिक दल विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ इस मामले में समीक्षा याचिका पर सुनवाई करेगी। विभिन्न धार्मिक दलों के एक छात्र संगठन तहरीक-ए-खतम-ए-नबुवत ने सुप्रीम कोर्ट के सामने विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने 24 जुलाई 2024 को मुबारक अहमद सानी मामले में निर्णय सुनाया था, जिसमें अहमदियों को गैर-मुस्लिम घोषित किया गया था, लेकिन उन्हें अपने धर्म को मानने और फैलाने का अधिकार भी दिया गया था, बशर्ते वे सार्वजनिक रूप से मुस्लिम शब्दों का उपयोग न करें। फरवरी 2024 में मुबारक अहमद सानी पर प्रतिबंधित पुस्तक तफ़सीर-ए-सगीर वितरित करने का आरोप लगाया गया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये काम 2021 में अपराध घोषित होने से पहले 2019 में हुआ था।
--आईएएनएस
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