ओटावा, 20 सितम्बर (आईएएनएस)। कनाडा के सहयोगी देश 18 जून को सरे में कनाडाई नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों के शामिल होने के आरोपों को लेकर दोनों देशों के बीच बढ़ते विवाद से दूरी बनाये हुये हैं। एक मीडिया रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।सीबीसी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश आरोप को ऐसे मामले के रूप में देख रहे हैं जिसकी अभी भी जांच की जानी है - इस तथ्य के बावजूद कि ट्रूडो सरकार को लगता है कि उसके पास संसद में आरोप लगाने और एक राजनयिक को निष्कासित करने के लिए पर्याप्त जानकारी है।
अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने मंगलवार को कहा, "यह निश्चित रूप से गंभीर आरोप है। हमारा मानना है कि यह कितना विश्वसनीय है, यह निर्धारित करने के लिए गहन जांच की जरूरत है।"
किर्बी ने कहा, "प्रधानमंत्री ट्रूडो ने ये आरोप लगाये हैं, और इसलिए हम देखेंगे कि कनाडा इस पर कैसे आगे बढ़ता है। ऐसा करना निश्चित रूप से उनकी क्षमता के भीतर है, और हम भारत से भी उस जांच में भाग लेने और सहयोग करने का आग्रह करते हैं। यह पता लगाना महत्वपूर्ण है कि वास्तव में क्या हुआ था।''
ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज़ ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। भारत की कथित भूमिका के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ''मैं संवाददाता सम्मेलन में फाइव आईज इंटेलिजेंस के बारे में बात नहीं करता, यह हास्यास्पद है।''
अल्बानीज़ ने जोर देकर कहा, "इसीलिए इसे इंटेलिजेंस कहा जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हम इस बारे में अनुमान नहीं लगाते हैं कि इंटेलिजेंस क्या है। इसलिए मेरा यहां या कहीं और फाइव आईज़ इंटेलिजेंस के बारे में बात करने का इरादा नहीं है।"
फाइव आइज़ (एफवीईवाई) एक ख़ुफ़िया गठबंधन है जिसमें ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूज़ीलैंड, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं।
ब्रिटेन के विदेश सचिव जेम्स क्लेवरली ने एक एक्स पर एक पोस्ट किया जिसमें भारत का कोई जिक्र नहीं था।
उन्होंने लिखा, "सभी देशों को संप्रभुता और कानून के शासन का सम्मान करना चाहिए। हम कनाडाई संसद में उठाए गए गंभीर आरोपों के बारे में अपने कनाडाई सहयोगियों के साथ नियमित संपर्क में हैं। महत्वपूर्ण है कि कनाडा की जांच अपना काम करे और अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए।"
कनाडाई मीडिया आउटलेट की रिपोर्ट के अनुसार, कनाडा के सहयोगियों के लिए, यह आरोप दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश को अलग-थलग करने का जोखिम पेश करता है, जबकि वे ऐसा कम से कम करना चाहते हैं।
--आईएएनएस
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