काठमांडू, 21 सितंबर (आईएएनएस)। द्विपक्षीय ऊर्जा सहयोग को बढ़ावा देने वाली एक पहल के तहत अब भारतीय राज्य नेपाल से सीधे बिजली खरीद सकते हैं।नेपाली पक्ष के अनुसार, यह समझौता बुधवार को नई दिल्ली में संयुक्त तकनीकी टीम (जेटीटी) की 14वीं बैठक के दौरान हुआ।
दोनों पक्ष धालकेहर-मुजफ्फरपुर सीमा पार ट्रांसमिशन लाइन के माध्यम से व्यापार की जाने वाली बिजली की मात्रा बढ़ाने और बिजली व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सीमा पार लाइनों के निर्माण में तेजी लाने पर भी सहमत हुए।
नेपाल विद्युत प्राधिकरण के ऊर्जा व्यापार विभाग के प्रमुख प्रबल अधिकारी ने कहा कि बिजली व्यापार व्यवसाय में शामिल कोई भी भारतीय उपक्रम 132 केवी ट्रांसमिशन लाइन के माध्यम से बिजली बेच और खरीद सकता है। नेपाल और किसी भी भारतीय राज्य के बीच ऊर्जा सचिव स्तर पर बिजली व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।
समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद ही समझौता संचालन और निष्पादन में आता है जिसकी बैठक जल्द ही बुलाए जाने की उम्मीद है।
जो राज्य नेपाल से बिजली खरीदना चाहते हैं, उन्हें पहले भारत की राज्य बिजली एजेंसी को मंजूरी के लिए प्रस्ताव देना चाहिए।
समझौते को लागू करने के लिए नेपाल और भारत के बीच दो समर्पित 132 केवी ट्रांसमिशन लाइनों का उपयोग नेपाल से बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे भारतीय राज्यों में बिजली निर्यात के लिए किया जाएगा। नेपाल और भारत 132 केवी नई नौतनवा-मैनैया लाइन और कोहलपुर-नानपारा लाइन का निर्माण पूरा करने जा रहे हैं, जिसका उपयोग 400 केवी ढालकेहर-मुजफ्फरपुर सीमा पार ट्रांसमिशन लाइन के अलावा बिजली के आयात और निर्यात के लिए किया जाएगा।
भारत का सतलुज जल विद्युत निगम, जो वर्तमान में 900 मेगावाट की अरुण - 3 जलविद्युत परियोजना विकसित कर रहा है, 400 केवी ढालकेबार - सीतामढी लाइन का निर्माण कर रहा है जिससे दो हजार मेगावाट तक के उत्पादन की उम्मीद है।
अब भारत नेपाल को देश से बिजली निर्यात और आयात के लिए इस लाइन का उपयोग करने की सुविधा देने जा रहा है। इससे पहले, यह लाइन विशेष रूप से अरुण 3 और दो अन्य परियोजनाओं में उत्पादित बिजली निर्यात के लिए बनाई गई थी।
अभी तक, नेपाल और भारत केवल 400 केवी ढालकेहर-मुजफ्फरपुर सीमा पार ट्रांसमिशन लाइन के माध्यम से व्यापार कर रहे हैं। बैठक में ढालकेवार-मुजफ्फरपुर सीमा पार ट्रांसमिशन लाइन की क्षमता को उन्नत करने का भी निर्णय लिया गया, जिसमें 600-मेगावाट बिजली के आयात और निर्यात की क्षमता होगी।
इस ट्रांसमिशन लाइन के मजबूत होने के बाद नेपाल भारत को 800 मेगावाट बिजली बेच सकता है।
फरवरी में आयोजित अंतिम संयुक्त संचालन समिति की बैठक में, दोनों पक्ष 400 केवी ढालकेहर-मुजफ्फरपुर सीमा पार लाइन के माध्यम से व्यापार की जाने वाली बिजली की मात्रा को 600 मेगावाट से बढ़ाकर 800 मेगावाट करने पर सहमत हुए।
चूंकि ऊर्जा व्यापार नेपाल और भारत के बीच एक महत्वपूर्ण आधार बन गया है, दोनों देश कई सीमा पार ट्रांसमिशन लाइनें बनाने की योजना बना रहे हैं।
दोनों देश 400 केवी ढालकेहर-मुजफ्फरपुर सीमा पार लाइन के अलावा हेटुडा-ढालकेबार-इनारुवा लाइन का भी निर्माण कर रहे हैं। दोनों देशों के बीच निर्माणाधीन एक और 400 केवी ट्रांसमिशन लाइन दोधारा-बरेली है जिसके 2028-29 तक पूरा होने की उम्मीद है।
--आईएएनएस
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