अहमदाबाद (आई-ग्रेन इंडिया)। एक अग्रणी व्यापारिक संस्था- कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) ने एक बार फिर 2022-23 सीजन के लिए कपास के घरेलू उत्पादन अनुमान में कटौती कर दी है। एसोसिएशन ने चालू मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर 2022- सितम्बर 2023) के दौरान कपास का घरेलू उत्पादन घटकर 303 लाख गांठ (170 किलो की प्रत्येक गांठ) पर सिमटने का अनुमान लगाया है जो पिछले 14 वर्षों यानी 2009-10 के बाद का सबसे निचला स्तर है। भारत में 10 राज्यों में परम्परागत श्रेणी के साथ-साथ बीटी कॉटन का भी उत्पादन होता है जबकि उड़ीसा सहित कुछ अन्य प्रांतों में केवल परम्परागत किस्म की कपास की खेती होती है
एसोसिएशन की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार इस 303 लाख गांठ के कुल अनुमानित उत्पादन में से 190.63 लाख गांठ कपास की आवक मार्च 2023 के अंत तक घरेलू मंडियों में हुई। महाराष्ट्र, पंजाब एवं तेलंगाना जैसे राज्यों के कुछ भागों में मौसम प्रतिकूल होने से कपास की फसल प्रभावित हुई। इसे देखते हुए एसोसिएशन ने कपास का उत्पादन अनुमान तेलंगाना में 5 लाख गांठ, महाराष्ट्र में 3 लाख गांठ एवं पंजाब में 2 लाख गांठ घटा दिया है।
उत्पादन में गिरावट का अनुमान सामने आने के बाद प्रसंस्कृत रूई की कीमतों में तेजी आने की संभावना है। इसका भाव बढ़ना शुरू हो गया है। पिछले महीने यह 61,000 रुपए प्रति कैंडी (356 किलो) पर था जो अब सुधरकर 62,900 रुपए प्रति कैंडी हो गया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि जून-जुलाई तक रूई का दाम उछलकर 75,000 रुपए प्रति कैंडी से ऊपर पहुंच सकता है।
एसोसिएशन ने रूई का आयात इस बार 15 लाख गांठ पर पहुंचने का अनुमान लगाया है जो पिछले सीजन के आयात 14 लाख गांठ से ज्यादा है। दूसरी ओर एसोसिएशन ने रूई की घरेलू खपत 318 लाख गांठ से घटकर इस बार 311 लाख गांठ पर सिमटने का अनुमान लगाया है।
एसोसिएशन के अनुसार 2022-23 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन में 31.89 लाख गांठ के बकाया स्टॉक, 303 लाख गांठ के उत्पादन एवं 15 लाख गांठ के आयात के साथ रूई की कुल उपलब्धता 349.89 लाख गांठ रहने की संभावना है जिसमें से 311 लाख गांठ का घरेलू उपयोग तथा 25 लाख गांठ का निर्यात हो सकता है। इस तरह मार्केटिंग सीजन के अंत में 13.89 लाख गांठ रूई का अधिशेष स्टॉक बच जाएगा। एसोसिएशन के मुताबिक चालू सीजन में देश से 31 मार्च 2023 तक करीब 10.50 लाख गांठ रूई का निर्यात हुआ।