मुम्बई (आई-ग्रेन इंडिया)। दुनिया के सबसे प्रमुख पाम तेल आयातक देश- भारत में मार्च के मुकाबले अप्रैल में इस महत्वपूर्ण वनस्पति तेल का आयात करीब 30 प्रतिशत घटकर पिछले 14 माह के निचले स्तर पर सिमट जाने का अनुमान है क्योंकि अन्य प्रतिद्वंदी खाद्य तेलों की तुलना में इसका मूल्यान्तर काफी घट गया जिससे आयातकों को पाम तेल के बजाए सोयाबीन तेल एवं सूरजमुखी तेल का आयात बढ़ाने का प्रोत्साहन मिला।
भारत संसार में खाद्य तेलों का भी सबसे बड़ा खरीदार है। यहां पाम तेल के आयात में जोरदार गिरावट आने से काफी हैरानी हो सकती है लेकिन जो हालात वैश्विक बाजार में बने हुए हैं उसमें ऐसा होना स्वाभाविक ही है।
भारत में आयात घटने से मलेशिया में पाम तेल का बकाया स्टॉक बढ़ने तथा वायदा भाव घटने की संभावना है जबकि वह पहले ही गिरकर गत सात माह के निचले स्तर पर आ गया है। इतना ही नहीं बल्कि इससे शीर्ष निर्यातक देश- इंडोनेशिया को भी अपने पाम तेल का निर्यात बढ़ाने में कठिनाई होगी। वहां रमजान के कारण पाम तेल के निर्यात पर पहले जो मात्रात्मक नियंत्रण लगाया गया था उसमें अब काफी ढील दी गई है लेकिन भारत की कमजोर मांग से उसे परेशानी हो सकती है।
हालांकि एक अग्रणी उद्योग संस्था- सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) का आंकड़ा मध्य मई में आने वाला है लेकिन उससे पहले व्यापारियों एवं डीलर्स ने जो अनुमान लगाया है उससे पता चलता है कि अप्रैल 2023 में पाम तेल का कुल आयात घटकर 5.08 लाख टन रह गया जबकि मार्च में इसका आयात 7,28,530 लाख टन हुआ था।
इसके बदले में आयातकों ने सोयाबीन तेल एवं सूरजमुखी तेल का आयात बढ़ा दिया। उल्लेखनीय है कि अप्रैल में सूरजमुखी तेल का भाव घटकर पाम तेल के बराबर या उससे नीचे आ गया। इसलिए इसके आयात के प्रति भारतीय आयातकों का आकर्षण काफी बढ़ गया।
आमतौर पर स्थिति इसके विपरीत होती है। सूरजमुखी तेल का दाम पाम तेल से काफी ऊंचा रहता है। वर्ष 2022 में तो यह एक समय 500 डॉलर प्रति टन तक ऊंचा हो गया था।
एक व्यापारिक फर्म के अनुसार अप्रैल में 6.50-7.00 लाख टन पाम तेल के आयात का अनुमान लगाया जा रहा था लेकिन यह घटकर 5 लाख टन रह गया। दूसरी ओर मार्च के मुकाबले अप्रैल में सूरजमुखी तेल का आयात 69 प्रतिशत उछलकर 2.50 लाख टन एवं सोयाबीन तेल का आयात 2.3 प्रतिशत सुधरकर 2.59 लाख टन पर पहुंच गया।