वैंकुवर (आई-ग्रेन इंडिया)। सरकारी एजेंसी- स्टैट्स कैन की रिपोर्ट से पता चलता है कि फरवरी के मुकाबले मार्च माह के दौरान कनाडा से मसूर का निर्यात प्रदर्शन कुछ कमजोर रहा। इसका प्रमुख कारण भारतीय आयातकों की कटाई-तैयारी आरंभ हो गई और शानदार उत्पादन की संभावना से कीमत नरम पड़ गई तथा दूसरे, भारतीय आयातकों के पास ऑस्ट्रेलियाई माल का विकल्प भी मौजूद था जहां इस बार रिकॉर्ड उत्पादन की वजह से मसूर का भाव गिरकर कुछ नीचे आ गया।
कनाडा की तुलना ऑस्ट्रेलिया से मसूर मंगाने पर शिपमेंट खर्च कम बैठता है और जहाज को भारत पहुंचने में समय भी कम लगता है।
स्टैट्स कैन के आंकड़ों के अनुसार मार्च में कनाडा से कुल 1,49,116 टन मसूर का निर्यात हुआ जो फरवरी के शिपमेंट 1,75,477 टन से काफी कम रहा। हालांकि भारत इसका सबसे बड़ा खरीदार बना रहा लेकिन उसने कुल 33,501 टन मसूर का ही आयात किया। इसी तरह 29,794 टन के आयात के साथ संयुक्त अरब अमीरात दूसरे नम्बर पर तथा 20,388 टन के आयात के साथ तुर्की तीसरे स्थान पर रहा।
वैसे 2021-22 के मार्केटिंग सीजन (अगस्त-जुलाई) की समान अवधि के मुकाबले 2022-23 के मार्केटिंग सीजन में आरंभिक आठ महीनों यानी अगस्त 2022 से मार्च 2023 के दौरान कनाडा से मसूर का कुल निर्यात करीब 63 प्रतिशत उछलकर 15,55,116 टन पर पहुंच गया। इसके तहत यद्यपि मोटी एवं छोटी हरी मसूर का निर्यात प्रदर्शन उत्साहवर्धक रहा मगर लाल मसूर का शिपमेंट सामान्य रहा। मालूम हो कि ऑस्ट्रेलिया में मुख्यत: लाल मसूर का ही उत्पादन होता है।
इधर भारत में मसूर का भाव घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे आ गया है। यह समर्थन मूल्य इस बार 6,000 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित हुआ है।
कनाडा में लाल मसूर का भाव कुछ नरम पड़ने के संकेत मिल रहे हैं।