नई दिल्ली (आई-ग्रेन इंडिया)। केन्द्रीय पूल में खाद्यान्न के बढ़ते स्टॉक से सरकार को राहत मिल रही है। दरअसल खरीफ कालीन धान की कटाई एवं सरकारी खरीद (बंगाल तथा आसाम को छोड़कर) समाप्त होने के बाद अब विभिन्न राज्यों में उसकी कस्टम मिलिंग हो रही है और राइस मिलर्स द्वारा सरकारी गोदामों में चावल का स्टॉक जमा करवाया जा रहा है।
इसकी प्रक्रिया अक्टूबर 2022 से ही जारी है जबकि 1 अप्रैल 2023 से रबी कालीन गेहूं एवं धान की खरीद का सीजन भी आरंभ हो गया।
पिछले साल की तुलना में चालू रबी मार्केटिंग सीजन के दौरान गेहूं की खरीद में अच्छी बढ़ोत्तरी हो रही है जबकि चावल का नया माल भी आ रहा है। इसके फलस्वरूप केन्द्रीय पूल में खाद्यान्न का स्टॉक बढ़ गया है।
उपलब्ध आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 1 मई 2023 को खाद्यान्न का कुल स्टॉक बढ़कर 555.34 लाख टन पर पहुंच गया जिसमें 265.06 लाख टन चावल तथा 290.28 लाख टन गेहूं का स्टॉक शामिल था। इसके अलावा करीब 227 लाख टन धान का स्टॉक भी मौजूद था जिसकी कस्टम मिलिंग के बाद सरकार को चावल का स्टॉक प्राप्त होना है।
इस बीच गेहूं की खरीद भी चल रही है। गेहूं खरीद की मात्रा 250 लाख टन की सीमा पहले ही पार कर चुकी है जो पिछले रबी मार्केटिंग सीजन की सम्पूर्ण खरीद 188 लाख टन से ज्यादा है।
वैसे 1 मई 2023 के उपलब्ध खाद्यान्न का स्टॉक 1 अप्रैल को मौजूद स्टॉक 832.05 लाख टन से 223.29 लाख टन ज्यादा है। अप्रैल के आरंभ में 248.60 लाख टन चावल तथा 83.45 लाख टन गेहूं का स्टॉक बचा हुआ था। लेकिन 1 मई 2022 को केन्द्रीय पूल में 332.68 लाख टन चावल तथा 303.46 लाख टन गेहूं के साथ कुल 636.14 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक मौजूद था जो 1 मई 2023 के स्टॉक 555.34 लाख टन से 80.80 लाख टन ज्यादा था। हालांकि विभिन्न सरकारी योजनाओं में वितरण के लिए केन्द्रीय पूल से खाद्यान्न की नियमित निकासी हो रही है लेकिन फिर भी स्टॉक में अच्छी बढ़ोत्तरी हो रही है।
यदि गेहूं की अपेक्षित खरीद हुई तो सार्वजनिक वितरण प्रणाली में इसका कोटा बढ़ाया जा सकता है जिससे चावल पर भार घट जाएगा।