नई दिल्ली (आई-ग्रेन इंडिया)। केन्द्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वर्ष के दौरान 19 मई तक अखिल भारतीय स्तर पर ग्रीष्मकालीन (जायद) फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र घटकर 69.97 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया जो पिछले साल की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र 71.92 लाख हेक्टेयर से करीब 2 लाख हेक्टेयर कम है।
इसका मुख्य कारण धान के रकबे में 2 लाख हेक्टेयर से अधिक की गिरावट आना रहा। 2022 की तुलना में 2023 के दौरान धान का कुल उत्पादन क्षेत्र 30.28 लाख हेक्टेयर से घटकर 28.07 लाख हेक्टेयर रह गया।
दूसरी ओर दलहन फसलों का बिजाई क्षेत्र गत वर्ष के 19.09 लाख हेक्टेयर से सुधरकर इस बार 19.81 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा। इसके तहत मूंग का उत्पादन क्षेत्र 15.56 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 16.33 लाख हेक्टेयर तथा उड़द का क्षेत्रफल 3.24 लाख हेक्टेयर से सुधरकर 3.25 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा जबकि अन्य दलहनों का रकबा 28 हजार हेक्टेयर से गिरकर 23 हजार हेक्टेयर पर आ गया।
इसी तरह श्रीअन्न एवं मोटे अनाजों का कुल रकबा पिछले साल के 11.54 लाख हेक्टेयर से सुधरकर इस वर्ष 11.93 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा। इसके तहत ज्वार का बिजाई क्षेत्र 21 हजार हेक्टेयर से सुधरकर 26 हजार हेक्टेयर तथा बाजरा का क्षेत्रफल 3.98 लाख हेक्टेयर से उछलकर 4.74 लाख हेक्टेयर हो गया मगर मक्का का उत्पादन क्षेत्र 7.14 लाख हेक्टेयर से घटकर 6.78 लाख हेक्टेयर तथा रागी का रकबा 20 हजार हेक्टेयर से गिरकर 14 हजार हेक्टेयर रह गया।
तिलहन फसलों की बिजाई में किसानों की दिलचस्पी कम रही जिससे राष्ट्रीय स्तर पर इसका कुल उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष के 11.02 लाख हेक्टेयर से घटकर इस वर्ष 10.17 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया। इसके तहत खासकर मूंगफली का बिजाई क्षेत्र 5.46 लाख हेक्टेयर से घटकर 4.97 लाख हेक्टेयर रह गया। दूसरी ओर सूरजमुखी का रकबा 31 हजार हेक्टेयर से सुधकर 32 हजार हेक्टेयर तथा तिल का उत्पादन क्षेत्र 4.51 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 4.61 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। अन्य तिलहन फसलों की बिजाई 74 हजार हेक्टेयर से गिरकर इस बार 31 हजार हेक्टेयर पर सिमट गई। जायद फसलों की बिजाई लगभग समाप्त हो चुकी है।