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सरकारी प्रयासों एवं चना के शानदार उत्पादन से भारत दलहनों में आत्मनिर्भरता की ओर

प्रकाशित 05/06/2023, 11:36 am
अपडेटेड 09/07/2023, 04:02 pm

नई दिल्ली। केन्द्र सरकार देश को दाल-दलहन के मामले में आत्मनिर्भर बनाने तथा विदेशों से आयात घटाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। हाल के वर्षों में चना के घरेलू उत्पादन में शानदार इजाफा हुआ है और देश इसमें पूरी तरह आत्मनिर्भर हो चुका है।

इस बार मसूर के उत्पादन में भी अच्छी वृद्धि हुई है। लेकिन प्राकृतिक आपदाओं से अरहर (तुवर) एवं उड़द की फसल को काफी नुकसान हुआ जिससे इसके उत्पादन में कमी आ गई।

सरकार घरेलू प्रभाग में इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने का हर संभव प्रयास कर रही है।

सरकारी प्रयासों एवं चना के शानदार प्रदर्शन के सहारे भारत दाल-दलहन के मामले में 90 प्रतिशत से अधिक आत्मनिर्भर हो चुका है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार यदि तुवर एवं उड़द का सामान्य उत्पादन हुआ होता तो आत्मनिर्भरता का स्तर और भी ऊंचा हो सकता था।

ध्यान देने की बात है कि कुछ वर्ष पूर्व तक देश में 50-60 लाख टन दलहनों का सालाना आयात होता था जिसमें अकेले मटर की भागीदारी 50 प्रतिशत के करीब रहती थी मगर अब इसका आयात बंद हो गया है। इसी तरह सरकार ने मूंग के आयात पर प्रतिबंध लगा रखा है और देसी चना का भी नगण्य आयात हो रहा है क्योंकि इस पर भारी-भरकम सीमा शुल्क लगा दिया गया है।

इसके फलसरूप अब देश में मुख्यत: तीन दलहनों-मसूर, तुवर एवं उड़द का बड़े पैमाने पर आयात होता है। इसके अलावा थोड़ी-बहुत मात्रा में काबुली चना, राजमा एवं लोबिया आदि भी मंगाया जा रहा है।

भारत खाद्यान्न के मामले में पहले ही आत्मनिर्भर हो चुका है और अब दलहनों के उत्पादन में तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ रहा है। केवल तिलहन-तेल क्षेत्र ऐसा है जहां विदेशी आयात पर भारत की निर्भरता बहुत ज्यादा देखी जा रही है। देश में करीब 240-250 लाख टन खाद्य तेलों की औसत वार्षिक खपत होती है जिसमें से केवल 90-100 लाख टन तेल स्वदेशी स्रोतों से प्राप्त होता है जबकि शेष 140-145 लाख टन का आयात विदेशों से किया जाता है।

पिछले 9 वर्षों के दौरान देश में दलहनों के आयात की मात्रा में तो भारी गिरावट आई है मगर इस पर होने वाले खर्च में मामूली इजाफा हुआ है। इसका निर्यात खर्च 2013-14 के वित्त वर्ष में 1828.16 मिलियन डॉलर (11036.75 करोड़ रुपए) रहा था जो 2022-23 में बढ़कर 1943.89 मिलियन डॉलर (15780.56 करोड़ रुपए) पर पहुंचा। उल्लेखनीय है कि आरंभिक चरण के दौरान यह आयात खर्च वित्त वर्ष 2016-17 में उछलकर 4244.13 मिलियन डॉलर या 28523.18 करोड़ रुपए पर पहुंचा था मगर बाद में तेजी से घटने लगा।

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