iGrain India - मुम्बई । हालांकि केन्द्र सरकार घरेलू प्रभाग में दाल- दलहनों की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने का हर संभव प्रयास कर रही है लेकिन उद्योग-व्यापार विश्लेषकों के मानना है कि मांग एवं आपूर्ति के बीच भारी अंतर बरकरार रहने से अक्टूबर में खरीफ कालीन दलहन फसलों के नए माल की आवक शुरू होने तक कीमतों का स्तर ऊंचा रह सकता है।
दरअसल 2023-24 में खरीफ कालीन दलहनों की पैदावार में भारी गिरावट आने के बाद रबी सीजन में भी उम्मीद के अनुरूप उत्पादन नहीं हुआ और विदेशों से इसके आयात की गति धीमी पड़ने लगी है।
इसका कारण यह है कि अफ्रीकी देशों में अरहर (तुवर) एवं चना का निर्यात योग्य स्टॉक बहुत कम बचा हुआ है और कनाडा तथा ऑस्ट्रेलिया में मसूर, मटर एवं मसूर की नई फसल की कटाई-तैयारी जुलाई-अगस्त में शुरू होने की संभावना है जबकि ऑस्ट्रेलिया में मसूर एवं चना के नए माल की आवक अक्टूबर में आरंभ होगी।
घरेलू प्रभाग में उड़द एवं मूंग का नया माल अक्टूबर-नवम्बर में आएगा जबकि तुवर की फसल दिसम्बर-जनवरी में आएगी। इस तरह जून से सितम्बर तक दाल-दलहनों की आपूर्ति कम होने की संभावना है। वैसे ग्रीष्मकालीन उड़द एवं मूंग की आवक अभी हो रही है जो अगले कुछ सप्ताहों तक जारी रहेगी।
तुवर उड़द एवं चना का ऊंचा बाजार भाव सरकार के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। अप्रैल में दलहनों की महंगाई दर 16.8 प्रतिशत दर्ज की गई।
इसके तहत तुवर का दाम 31.4 प्रतिशत, चना का 14.6 प्रतिशत एवं उड़द का 14.3 प्रतिशत ऊंचा रहा। महंगाई गणना (आंकलन) की दृष्टि से दलहनों की भागीदारी खाद्य बास्केट में 6 प्रतिशत तथा उपभोक्ता बास्केट में 2.4 प्रतिशत रहती है।
खाद्य महंगाई दर मार्च में 8.5 प्रतिशत तथा उपभोक्ता बास्केट में 2.4 प्रतिशत रहती है। खाद्य महंगाई दर मार्च में 8.5 प्रतिशत थी जो अप्रैल में कुछ और सुधरकर 8.7 प्रतिशत पर पहुंच गई।