iGrain India - श्री गंगानगर । बाजार में प्रचलित भाव एवं मौसम की हालत को देखते हुए राजस्थान में चालू रबी सीजन के दौरान सरसों एवं जौ की बिजाई कुछ कम होने की संभावना है जबकि दूसरी ओर गेहूं एवं चना का क्षेत्रफल बढ़ने के आसार हैं।
एक प्रगतिशील किसान श्रीपाल सारस्वत के अनुसार यद्यपि लम्बे समय से राजस्थान में अच्छी वर्षा नहीं हुई है लेकिन खेतों की मिटटी में नमी का अंश मौजूद है और मौसम भी ठंडा होने लगा है जिससे विभिन्न रबी फसलों की बिजाई की रफ्तार बढ़ने लगी है।
सरसों का भाव किसानों के लिए अनुकूल नहीं रहा और तेल आयात की सरकारी नीति को देखते हुए आगे भी कीमतों में ज्यादा तेजी आना कठिन लगता है इसलिए इस महत्वपूर्ण तिलहन फसल की खेती में किसानों की दिलचस्पी कुछ घट जाएगी। जौ का भाव मई-जुलाई के दौरान कमजोर रहा था क्योंकि पशु आहार निर्माण में इसकी मांग घट गई थी। अब कीमतों में तेजी आने के संकेत मिल रहे हैं।
चना का भाव पिछले कुछ महीनों के अंदर 4500 रुपए प्रति क्विंटल से उछलकर 6000 रुपए प्रति क्विंटल से ऊपर पहुंचा है जिससे किसान काफी उत्साहित हैं। पिछले दो-तीन वर्षों से चना उत्पादकों को आकर्षक मूल्य नहीं मिल रहा था जो इस बार प्राप्त हो रहा है। सारस्वत के अनुसार गेहूं किसानों को काफी लाभप्रद वापसी हासिल हो रही है और इसलिए वे इसका रकबा बढ़ाने का जोरदार प्रयास करेंगे।
श्रीपाल सारस्वत के मुताबिक राजस्थान में खरीफ फसलों का उत्पादन काफी कमजोर रहा। अगस्त-सितम्बर में करीब 50 दिनों तक वर्षा का अभाव होने तथा तापमान ऊंचा रहने से कपास, मूंग एवं ग्वार सहित अन्य खरीफ फसलें काफी हद तक प्रभावित हुई।
कपास की फसल को कीड़ों-रोगों से भी नुकसान हुआ। ग्वार का उत्पादन उम्मीद से काफी कम हुआ। मूंग की फसल कई क्षेत्रों में बर्बाद हो गई। किसानों को फसल नुकसान और कमजोर बाजार भाव के रूप में दोहरी मार झेलनी पड़ रही है।
खासकर कपास एवं ग्वार का दाम पिछले साल से काफी नीचे आ गया है। बांधों, जलाशयों में पानी का स्तर सामान्य है। गेहूं और गन्ना की खेती अच्छी हो रही है। आगे जीरा का रकबा बढ़ने के आसार हैं जबकि धनिया की सामान्य होने की उम्मीद है।