iGrain India - रबी सीजन की तीनों प्रमुख फसलों- गेहूं, चना एवं सरसों की बिजाई की गति इस बार पिछले साल से धीमी देखी जा रही है जो हैरानी की बात है क्योंकि एक तो दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन के दौरान अच्छी बारिश होने से खेतों की मिटटी में नमी का पर्याप्त अंश मौजूद रहने के कारण किसानों को बिजाई में कोई कठिनाई नहीं हो रही है और दूसरे, इन फसलों का बाजार भाव ऊंचा चल रहा है।
इसके अलावा केन्द्र सरकार ने गेहूं, चना, सरसों, मसूर एवं जौ के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में भी अच्छी बढ़ोत्तरी कर दी है ताकि किसानों का उत्साह एवं आकर्षण बरकरार रह सके।
गेहूं का भाव नियमित रूप से ऊंचा एवं तेज बना हुआ है क्योंकि मंडियों में सीमित आपूर्ति के बीच इसकी मांग मजबूत बनी हुई है और सरकार न तो इसके आयात पर लागू 40 प्रतिशत का सीमा शुल्क को घटाने या खत्म करने के लिए तैयार है और न ही अपने स्टॉक को खुले बाजार में उतारना चाहती है।
किसानों को गेहूं का लाभकारी मूल्य प्राप्त हो रहा है। देश के पश्चिमोत्तर भाग के मैदानी इलाकों में गेहूं की बोआई की आदर्श अवधि 20 नवम्बर तक मानी जाती है और इसके बाद होने वाली बिजाई की फसल की उपज दर घटने का खतरा रहता है।
पंजाब में खरीफ कालीन फसलों (खासकर धान) की कटाई-तैयारी में देर होने तथा डीएपी खाद का अभाव रहने से गेहूं की बिजाई प्रभावित हो रही है जबकि वह केन्द्रीय पूल में इसका सर्वाधिक योगदान देने वाला राज्य है।
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा तथा राजस्थान जैसे प्रमुख उत्पादक प्रांतों में भी गेहूं की बिजाई की रफ्तार तेज नहीं है। आगामी समय में गति कुछ बढ़ सकती है। सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 150 रुपए बढ़ाकर 2425 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है।
चना और सरसों का हाल भी गेहूं से ज्यादा भिन्न नहीं है। प्रमुख उत्पादक राज्यों में इसकी बिजाई गत वर्ष से पीछे चल रही है। 8 नवम्बर तक के आंकड़ों से ज्ञात होता है कि गेहूं का रकबा 48.90 लाख हेक्टेयर से घटकर 41.30 लाख हेक्टेयर, चना का क्षेत्रफल 27.40 लाख हेक्टेयर से गिरकर 24.55 लाख हेक्टेयर तथा सरसों का बिजाई क्षेत्र 50.75 लाख हेक्टेयर से फिसलकर 49.90 लाख हेक्टेयर रह गया।
ज्वार का क्षेत्रफल भी घटा है जबकि धान एवं मक्का का रकबा बेहतर है। मसूर-मटर सहित अन्य फसलों की बिजाई भी जारी है। दक्षिणी राज्यों में बारिश एवं खेतों में जल जमाव के कारण रबी फसलों की बिजाई में बाधा पड़ रही है।
अब तापमान घटने लगा है जिससे आगामी समय में बिजाई की रफ्तार तेज होने की उम्मीद की जा सकती है। किसानों की सक्रियता धीरे-धीरे बढ़ने लगी है।