iGrain India - मुम्बई । मांग एवं खपत की तुलना में आपूर्ति एवं उपलब्धता कम होने से चालू माह के दौरान आमतौर पर दाल-दलहन का घरेलू बाजार भाव ऊंचे स्तर पर मजबूत रहने की संभावना है।
एक अग्रणी रेटिंग एजेंसी के अनुसार पिछले साल की तुलना में इस वर्ष अक्टूबर में दालों का भाव करीब 19 प्रतिशत बढ़ गया। हालांकि समीक्षाधीन अवधि के दौरान आलू, टमाटर एवं गैस सिलेंडर के दाम में नरमी आई मगर प्याज का भाव तेज हो गया।
समझा जाता है कि खरीफ कालीन दलहन फसलों के उत्पादन में भारी गिरावट आई है और मंडियों में इसकी समुचित आपूर्ति नहीं हो रही है। इसी तरह विदेशों से तुवर एवं उड़द के आयात की गति भी उम्मीद से कुछ धीमी है।
तुवर की नई फसल की आवक कर्नाटक में अगले महीने से शुरू हो सकती है और उसके बाद महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात तथा आंध्र प्रदेश, तथा आंध्र प्रदेश सहित अन्य राज्यों में भी आपूर्ति हो जाएगी।
हालांकि सरकार ने गत वर्ष के मुकाबले चालू खरीफ सीजन के दौरान तुवर का उत्पादन 33.10 लाख टन से बढ़कर 34.20 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान लगाया है लेकिन उद्योग-व्यापार क्षेत्र के विश्लेषकों का मानना है कि फसल काफी कमजोर है इसलिए वास्तविक उत्पादन सरकारी अनुमान से बहुत कम होगा। तुवर के बिजाई क्षेत्र में कमी आई और मौसम तथा मानसून की हालत भी इसके अनुकूल नहीं रही। अगस्त के सूखे ने फसल को बुरी तरह प्रभावित किया।
उड़द एवं मूंग के उत्पादन में स्वयं सरकार ने गिरावट आने की संभावना व्यक्त की है जो पूरी तरह सही है। वैसे बाजार विश्लेषकों का मानना है कि इसके उत्पादन में कुछ और गिरावट आ सकती है। राजस्थान में और उधर कर्नाटक में मूंग की फसल काफी कमजोर रही। उड़द की फसल को भी कई क्षेत्रों में भारी नुकसान हुआ है।
म्यांमार में तुवर का निर्यात योग्य स्टॉक लगभग खत्म हो चुका है जबकि अफ्रीकी देशों से इसका सीमित आयात हो रहा है। इससे बाजार में तेजी- मजबूती का रुख बना हुआ है।
उड़द एवं मूंग की फसल काटी जा रही है लेकिन बड़े-बड़े किसान इसका स्टॉक रोकने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि उत्पादन घटने से भविष्य में इसका दाम और तेज हो सकता है।