iGrain India - कोल्हापुर । महाराष्ट्र में 1 नवम्बर से गन्ना की क्रशिंग एवं चीनी के उत्पादन का नया मार्केटिंग सीजन विधिवत आरंभ हो गया है मगर चीनी मिलों को गन्ना की समुचित मात्रा हासिल नहीं हो रही है।
इसे देखते हुए कोल्हापुर जिले की करीब 20 चीनी मिलों ने एक संयुक्त बयान जारी करने किसानों से चालू सीजन में गन्ना की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने की अपील की है।
मिलर्स का कहना है कि गन्ना की नियमित आपूर्ति होने पर उसे वित्तीय घाटे से बचने में सहायता मिलेगी और किसानों को भी फायदा होगा। एक अग्रणी किसान संगठन द्वारा गन्ना उत्पादकों की एक रैली आयोजित किए जाने से एक दिन पूर्व ही चीनी मिलों द्वारा इस तरह की अपील की गई है।
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र के प्रमुख गन्ना उत्पादक जिलों में इस किसान संगठन के समर्थकों- सदस्यों की काफी संख्या है। यह संगठन गन्ना फसल की कटाई एवं चीनी मिलों तक उसकी ढुलाई को रोकने के लिए पहले ही आंदोलन शुरू कर चुका है।
संगठन का कहना है कि चीनी मिलों को पहले यह घोषणा करनी चाहिए कि वह किस मूल्य पर गन्ना की खरीद करेगी और केवल तभी फसल की कटाई एवं ढुलाई (परिवहन) की अनुमति दी जाएगी।
उधर संयुक्त बयान में चीनी मिलों ने क्रमबद्ध रूप से कहा है कि वे केन्द्र सरकार द्वारा घोषित गन्ना के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) का भुगतान करने के लिए तैयार है लेकिन उसे अधिक राशि का भुगतान करने की स्थिति में नहीं हैं।
ज्ञात हो कि केन्द्र ने 2023-24 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन के लिए 10.25 प्रतिशत चीनी की रिकवरी दर के लिए गन्ना का एफआरपी 3150 रुपए प्रति टन निर्धारित किया है।
चीनी मिलें इस एफआरपी का भुगतान करने पर सहमत है लेकिन किसान संगठन के नेता कुछ अतिरिक्त राशि का भुगतान चाहते हैं क्योंकि चीनी का भाव काफी ऊंचा चल रहा है।
बयान में कहा गया है कि पिछले पांच वर्षों के दौरान गन्ना के एफआरपी में भारी बढ़ोत्तरी हुई है मगर चीनी के एक्स-फैक्टरी न्यूनतम बिक्री मूल्य में कोई इजाफा नहीं हुआ है।
इससे चीनी मिलों को बहुत कम फायदा मिला। मिलर्स एवं किसानों को चीनी के मूल्य में वृद्धि के लिए भी संघर्ष करना चाहिए ताकि मिलें अपने कर्ज का निस्तारण करने तथा किसानों को गन्ना का ऊंचा मूल्य देने की स्थिति में आ सके। चीनी मिलें गन्ना की क्रशिंग तत्काल शुरू करने पर जोर दे रही हैं।