iGrain India - नई दिल्ली । राष्ट्रीय स्तर पर 150 प्रमुख बांधों- जलाशयों में पानी का स्तर घटकर उसकी कुल भंडारण क्षमता के 70 प्रतिशत से भी नीचे आ गया है जबकि चालू सप्ताह के दौरान 14 राज्यों पानी का भंडार सामान्य स्तर से नीचे चला गया है।
केन्द्रीय जल आयोग की साप्ताहिक बुलेटिन के अनुसार दक्षिणी भारत में हो रही बारिश के बावजूद पानी के स्तर में सुधार नहीं देखा जा रहा है।
जल आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक 9 नवम्बर 2023 को बांधों और जलाशयों में 178.784 बीपीएल की कुल क्षमता के सापेक्ष केवल 124.124 बिलियन क्यूबिक मीटर्स (बीसीएम) पानी का स्टॉक मौजूद था। यह स्तर पिछले साल के साथ-साथ पंचवर्षीय सामान्य औसत से भी नीचे था। गत सप्ताह 71 प्रतिशत क्षमता के समतुल्य पानी का स्टॉक था।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार अगस्त माह के दौरान बारिश में 32 प्रतिशत को भारी गिरवाट आ गई जबकि दक्षिण-पश्चिम मानसून के प्रस्थान करने के बाद अक्टूबर में भी वर्षा का अभाव रहा।
इससे जलाशयों में पानी का स्तर काफी घट गया। देश के 712 जिलों में से 64 प्रतिशत में वर्षा नहीं या नगण्य हुई। मानसून की कमजोर वर्षा एवं बांधों- जलाशयों में पानी के घटते स्तर को देखते हुए रबी फसलों की बिजाई, प्रगति, औसत उपज दर, क्वालिटी एवं कुल पैदावार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है।
दिलचस्प तथ्य यह है कि दक्षिणी राज्यों में सामुद्रिक हलचल के कारण उत्तर-पूर्व मानसून की सक्रियता बढ़ने से केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश एवं पांडिचेरी में पिछले कुछ दिनों से रुक-रुक कर बारिश हो रही है।
इसी तरह महाराष्ट्र के कुछ भागों एवं गोवा के साथ-साथ अंडमान निकोबार द्वीप समूह में भी बारिश की सूचना मिल रही है। इधर पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता से जम्मू कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में बर्फबारी तथा राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश एवं दिल्ली के मैदानी भाग में बारिश का माहौल बना हुआ है। इससे किसानों को फौरी राहत मिलने की उम्मीद है जिससे गेहूं, चना एवं सरसों सहित अन्य रबी फसलों की बिजाई की रफ्तार बढ़ सकती है।