iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने अपने प्रथम अग्रिम अनुमान में 2023-24 के वर्तमान खरीफ मार्केटिंग सीजन के दौरान सिर्फ अरहर (तुवर) को छोड़कर अन्य सभी प्रमुख फसलों के उत्पादन में गिरावट आने की संभावना व्यक्त की है जिसमें चावल, मक्का, उड़द, मूंग, सोयाबीन एवं मूंगफली आदि शामिल है लेकिन सरकार को भरोसा है कि नए माल की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ने से कुछ समय तक इसका बाजार भाव स्थिर या नरम रहेगा और खाद्य महंगाई पर अंकुश लग सकता है जो हाल के महीनों में काफी ऊंचे स्तर पर रहा है।
समीक्षकों का कहना है कि तुवर का उत्पादन अनुमान केवल बाजार पर दबाव बढ़ाने के उद्देश्य से ऊंचा रखा गया है अन्यथा अब तक जिस तरह के हालात रहे हैं उसमें तुवर का उत्पादन घटना निश्चित लगता है।
ध्यान देने की बात है कि खाद्य महंगाई घटाने के लिए सरकार अपनी ओर से जोरदार प्रयास कर रही है। इसके तहत केन्द्रीय पूल से खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत रियायती मूल्य पर गेहूं एवं चावल बेचा जा रहा है।
चावल के निर्यात को नियंत्रित किया गया है। गेहूं एवं इसके उत्पादों के निर्यात पर पिछले साल से ही प्रतिबंध लगा हुआ है। दलहनों पर स्टॉक सीमा लागू कर दी गई है। विदेशों से मसूर, उड़द एवं तुवर के निर्बाध आयात के लिए नियमों को उदार बनाया गया है। खाद्य तेलों के आयात पर सीमा शुल्क को घटाकर अत्यन्त निचले स्तर पर लाया गया है।
त्यौहारी सीजन अंतिम चरण में पहुंच गया है लेकिन चुनावी मौसम जारी है। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
दिसम्बर के प्रथम सप्ताह में इसका परिणाम सामने आएगा। सरकार इस अवधि में खाद्य उत्पादों की कीमतों में कोई उल्लेखनीय गिरावट नहीं आई है मगर सरकार को लगता है कि आगामी समय में मांग कमजोर पड़ने तथा आपूर्ति बढ़ने पर इसके दाम में कुछ नरमी आ सकती है। वैसे उत्पादन में गिरावट आने से भाव ज्यादा घटना मुश्किल लगता है।