iGrain India - गुंटूर । दक्षिण भारत के दो प्रमुख उत्पादक राज्यों- आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना की प्रमुख मंडियों में लालमिर्च की आवक की गति धीमी चल रही है जबकि इसका कारोबार भी सुस्त पड़ने लगा है।
मध्य प्रदेश में इसकी नई फसल की आपूर्ति हो रही है मगर जोरदार आवक 10-15 दिनों के बाद होने की संभावना है। व्यापार विश्लेषकों का कहना है कि घरेलू प्रभाग में लालमिर्च की मांग कुछ दिनों तक सीमित रह सकती है इसलिए इसकी कीमत मुख्यत: निर्यात प्रदर्शन पर निर्भर रहेगी।
गुंटूर मंडी में रोजाना औसतन 35-40 हजार बोरी लालमिर्च की आवक हो रही है और दिसावरी व्यापारियों तथा निर्यातकों द्वारा इसकी खरीद में थोड़ी-बहुत दिलचस्पी दिखाई जा रही है।
समझा जाता है कि अगले साल के आरंभ में जब लालमिर्च की नई फसल की तुड़ाई-तैयारी शुरू होगी तब इसकी कारोबारी गतिविधि में ज्यादा ज्यादा सुधार आ सकता है।
मौजूदा सीजन वहां अंतिम चरण में पहुंच गया है इसलिए उत्पादक तथा स्टॉकिस्ट अपने पिछले स्टॉक को जल्दी-जल्दी बाहर निकालने का प्रयास कर सकते हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के थोक किराना बाजार में पिछले दिन 334 नम्बर की लालमिर्च का भाव 24000/26000 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है।
मध्य प्रदेश में लालमिर्च की फसल दक्षिणी राज्यों से पहले आती है लेकिन इस बार वहां भी इसकी तुड़ाई-तैयारी शुरू होने में 15-20 दिन की देर हो गई। फसल की हालत कुल मिलाकर सामान्य बताई जा रही है। जब चालू माह के तीसरे-चौथे सप्ताह के दौरान मध्य प्रदेश की मंडियों में लालमिर्च की आवक की गति बढ़ेगी तब कीमतों पर कुछ दबाव पड़ सकता है।
गुंटूर मंडी में 334 नम्बर की लालमिर्च का दाम पिछले दिन कुल मिलाकर 18,500-20,300 रुपए प्रति क्विंटल तथा 341 नम्बर का भाव 19000-22,000 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा था। तेजा का मूल्य 21000/23500 रुपए प्रति क्विंटल बताया जा रहा था।
तेलंगाना की वारंगल मंडी में तेजा लालमिर्च की कीमत 21500/24000 रुपए प्रति क्विंटल बताई गई। यदि निर्यात मांग मजबूत नहीं रही तो अगले कुछ समय तक लालमिर्च के दाम में तेजी की संभावना क्षीण रहेगी।