iGrain India - मुम्बई । भारत के एक अग्रणी दलहन व्यापारिक संगठन ने केन्द्र सरकार से अफ्रीकी देश- मोजाम्बिक के साथ दलहन आयात के लिए किए गए करार को समाप्त करने का आग्रह किया है।
मालूम हो कि भारत और मोजाम्बिक के बीच आपसी सहमति का एक समझौता हुआ था जिसके तहत भारत ने वहां से 2025-26 तक प्रत्येक वर्ष 2 लाख टन अरहर (तुवर) के आयात का संकल्प व्यक्त किया था।
दलहन की अग्रणी व्यापारिक संस्था- इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (इपगा) ने कहा है कि मोजाम्बिक का एक प्रभावशाली निर्यातक अन्य निर्यातकों को भारत में तुवर का निर्यात शिपमेंट करने से मना कर रहा है जिससे कीमतों में बढ़ोत्तरी होती जा रही है।
इपगा के अध्यक्ष का कहना है कि मोजाम्बिक का वह प्रभावशाली निर्यातक अन्य निर्यातकों को उसे अपने तुवर का स्टॉक बेचने के लिए विवश कर रहा है। वह स्वयं इसका भारी-भरकम स्टॉक पकड़े हुए है और इसकी कीमतों में मनमानी बढ़ोत्तरी कर रहा है। इधर भारतीय आयातकों को पिछले दो महीनों से मोजाम्बिक से तुवर का आयात करने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
इवपा अध्यक्ष के अनुसार घरेलू प्रभाग में आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति को सुगम बनाने के लिए भारतीय व्यापारी म्यांमार, मोजाम्बिक एवं मलावी जैसे देशों से भारी मात्रा में तुवर का आयात करते रहे हैं। 2022-23 सीजन के दौरान तुवर का घरेलू उत्पादन कम होने से इसकी कीमतों में जोरदार बढ़ोत्तरी हो गई।
2023-24 के वर्तमान सीजन में भी तुवर का घरेलू उत्पादन कमजोर होने की संभावना है जिससे घरेलू प्रभाग में इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति अगले साल भी जटिल रह सकती है।
ऐसी हालत में यदि मोजाम्बिक से निर्यात में जान बूझकर बाधा उत्पन्न की जाए तो द्विपक्षीय करार का कोई फायदा नहीं है। सरकार को इस मामले में सख्त रवैया अपनाने की जरूरत है और तुवर कारोबार को सुगम बनाने हेतु त्वरित प्रयास करने के लिए मोजाम्बिक सरकार पर दबाव डाला जाना चाहिए।