iGrain India - मुम्बई । हालांकि भारत दुनिया में अरहर (तुवर) का सबसे बढ़ा उत्पादक, उपभोक्ता, एवं आयातक देश बना हुआ है लेकिन पिछले साल की भांति चालू खरीफ सीजन के दौरान भी घरेलू उत्पादन में गिरावट आने तथा मांग एवं खपत में वृद्धि होने से इसके विशाल आयात की आवश्यकता महसूस हो रही है। हाजिर स्टॉक की कमी से इसका घरेलू बाजार भाव काफी ऊंचा एवं तेज चल रहा है।
भारत में तुवर आयात मुख्यतः म्यांमार एवं पूर्वी अफ्रीका देशों से होता है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2020 और 2021 में 42 लाख टन से ऊपर रहने के बाद 2022 में उत्पादन घटकर 33.12 लाख टन पर अटक गया।
उद्योग- व्यापार समीक्षकों के अनुसार बिजाई क्षेत्र में गिरावट आने मानसून की हालत प्रतिकूल होने से चालू सीजन के दौरान उत्पादन 13% तक की कमी आ सकती हैं। वैसे कृषि मंत्रालय ने अपने प्रथम अग्रिम अनुमान में अरहर का उत्पादन बढकर 34.21 लाख टन पर पहुंचने की संभावना व्यक्त की है जो पिछले 3 सालों की औसत उपज दर पर आधारित है लेकिन बाजार विशेषज्ञों को यह विश्वसनीय नहीं लगता है। आई-ग्रेन इंडिया ने इस बार करीब 27 लाख टन तुवर के घरेलू उत्पादन की संभावना व्यक्त की है।
कमज़ोर घरेलू उत्पादन एवं बढ़ती मांग से कारण तुवर आयात पर भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ती जा रही है। वर्ष 2022 के दौरान देश में करीब 8.82 लाख टन तुवर का आयात हुआ जिसका अधिकांश भाग मोजाम्बिक एवं म्यांमार से मंगाया गया। इसके अलावा मलावी, एवं सूडान सहित कुछ अन्य अफ्रीकी देशों से भी आयात किया गया।
वर्ष 2023 के आरम्भिक 8 महीनों (जनवरी-अगस्त) के अंदर कुल 4.71 लाख टन आयत किया गया। इसमें से म्यांमार से 2.09, मोजाम्बिक से 1.66 तथा अन्य अफ्रीकी देशों से 0.96 लाख टन का आयात शामिल रहा। वर्ष के अंतिम 4 महीनों के दौरान तुवर का आयात तेज गति से बढ़ने की उम्मीद है क्योंकि अफ्रीका में नए माल की जोरदार आवक होने लगी है।
तुवर का घरेलू बाजार भाव ऊंचा रहने की उम्मीद है। मोजाम्बिक से इसकी आयात में देरी हो रही है। भारत सरकार ने इस पर चिंता व्यक्त करते हुए मोजाम्बिक सरकार से आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया है।
यदि मामला सुलझ गया तो वर्ष 2023 में तुवर का आयात बढ़कर एक नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है। तुवर का उत्पादन घरेलू मांग एवं जरुरत से काफी कम होने के कारण विदेशों से इसके आयात निर्भरता आगे भी बरकरार रहने की संभावना है।