iGrain India - नई दिल्ली । सरकार द्वारा घरेलू प्रभाग में आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से गेहूं बिकी की उदार नीति अपनाए जाने के कारण इसका स्टॉक लगातार तेजी से घटता जा रहा जा रहा है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 1 नवम्बर 2023 को केन्द्रीय पूल में 200.38 लाख टन चावल तथा 218.76 लाख टन गेहूं के साथ कुल 419.14 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक मौजूद था। इसके सापेक्ष 1 अक्टूबर 2023 को कुल 461.82 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक स्टॉक उपलब्ध था जिसमें 221.87 लाख टन चावल एवं 239.95 लाख टन गेहूं की मात्रा शामिल थी।
चूंकि गेहूं की अभी बिजाई शुरू हुई है और अगले वर्ष अप्रैल में इसकी सरकारी खरीद आरंभ होगी जो चार-पांच माह दूर है इसलिए ऐसा लगता है कि इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न का स्टॉक घटकर न्यूनतम आवश्यक स्तर से नीचे आ सकता है।
जहां तक चावल का सवाल है तो इसमें ज्यादा समस्या नहीं होगी क्योंकि खरीफ कालीन धान की सरकारी खरीद पहले ही आरंभ हो चुकी है इसलिए चावल का स्टॉक लगातार बढ़ता जाएगा।
1 नवम्बर को सरकार के पास धान का स्टॉक बढ़कर 262.61 लाख टन पर पहुंच गया जो 1 अक्टूबर 2023 के कुल स्टॉक 138.36 लाख टन से काफी अधिक है। लेकिन इस अवधि में मोटे अनाजों का स्टॉक 2.34 लाख टन से कुछ घटकर 2.10 लाख टन रह गया।
बफर नियमों के अनुसार केन्द्रीय पूल के आरंभ में कम से कम 102.50 लाख टन चावल तथा 205.20 लाख टन गेहूं का स्टॉक अवश्य उपलब्ध रहना चाहिए। गेहूं की औसत मासिक निकासी 20 लाख टन के करीब है।
नवम्बर के आरंभ में 218.76 लाख टन का स्टॉक था। मार्च 2024 तक के पांच महीनों में कितनी निकासी होती है। यह देखना दिलचस्प होगा। सरकार पहले ही खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत 31 मार्च 2024 तक केन्द्रीय पूल से 101.50 लाख टन गेहूं बेचने की घोषणा कर चुकी है जबकि अन्य कल्याणकारी योजनाओं के अंतर्गत भी इसकी आपूर्ति नियमित रूप से जारी रखी जाएगी।