iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने संकेत दिया है कि यदि अफ्रीकी देश- मोजाम्बिक से अरहर (तुवर) की आपूर्ति का मामला जल्दी से जल्दी नहीं सुलझता है तो उसके साथ किए गए आपसी सहमति के समझौते (एमओयू) को समाप्त करने पर विचार किया जा सकता है। मोजाम्बिक के निर्यातक जान बूझकर भारत को तुवर के निर्यात शिपमेंट में देरी कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पूर्व एक अग्रणी व्यापारिक संस्था- इंडिया पल्सेस एन्ड ग्रेन्स एसोसिएशन (इपगा) ने सरकार को सुझाव दिया था कि जब मोजाम्बिक से तुवर का आयात बाधित हो रहा है और वहां की सरकार इसे दुरुस्त करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रही है तो उसके साथ करार को जारी रखने का कोई फायदा नहीं है और इसे समाप्त करने पर विचार किया जाना चाहिए। यदि करार भंग हो गया तो मोजाम्बिक पर इसका गहरा प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ आधिकारिक का कहना है कि मोजाम्बिक से वित्त वर्ष 2025-26 तक प्रत्येक साल 2 लाख टन तुवर के आयात का करार किया गया था लेकिन जुलाई से ही वहां से इसकी आपूर्ति में बाधा पड़ रही है।
यदि यह मामला नहीं सुलझा तो एमओयू को कैंसिल कर दिया जाएगा। मोजाम्बिक में एक प्रभावशाली (चालाक या धूर्त) निर्यातक ज्यादा से ज्यादा कमाई करने के लिए यह सारा खेल कर रहा है और उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
पिछले महीने उपभोक्ता मामले विभाग के सचिव ने मोजाम्बिक के उच्चयुक्त के समक्ष यह मामला उठाया था और उन्होंने मामला सुलझाने का आश्वासन भी दिया था लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया है।
समझा जाता है कि भारत को निर्यात के लिए मोजाम्बिक के बंदरगाह पर 1.50-2.00 लाख टन तुवर का स्टॉक पड़ा हुआ है मगर इसके शिपमेंट की अनुमति नहीं दी जा रही है।
इससे भारत में इसका अभाव होने लगा है और दाम ऊंचे स्तर पर बरकरार है मालूम हो कि भारत में मोजाम्बिक, म्यांमार, मलावी, सूडान एवं तंजानिया जैसे देशों से विशाल मात्रा में तुवर का आयात किया जाता है क्योंकि घरेलू उत्पादन कम हो रहा है।