iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने चालू वर्ष (2023-24) के दौरान मिलेट्स की खरीद को बढ़ाकर 20 लाख टन तक पहुंचाने का प्लान बनाया है जो 2022-23 सीजन की कुल खरीद 7.30 लाख टन से काफी अधिक है।
इसका उद्देश्य सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में चावल तथा गेहूं के एक विकल्प के रूप में मिलेट्स की आपूर्ति बढ़ाना है। वरिष्ठ आधिकारिक सूत्रों के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अधिक मात्रा की खरीद होने से मिलेट्स उत्पादों को बेहतर आमदनी प्राप्त होगी और उसे इसका ज्यादा से ज्यादा उत्पादन करने का प्रोत्साहन मिलेगा।
मिलेट्स को पर्यावरण हितैषी, जलवायु रोधी एवं पोषक तत्वों का खजाना माना जाता है। अधिकारियों के अनुसार यह रणनीति कृषि क्षेत्र में विविधिकरण तथा पोषक अनाजों के उत्पादन संवर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
सरकार ने ज्वार, बाजरा एवं रागी के साथ-साथ छह अन्य माइनर मिलेट्स की खरीद का भी प्लान बनाया है जिसमें कोदो, कुडकी तथा कंगनी भी शामिल है। मालूम हो कि इन माइनर मिलेट्स के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण नहीं होता है।
ज्वार, बाजरा एवं रागी के लिए समर्थन मूल्य निर्धारित होता है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक प्रत्येक उत्पादक राज्य के लिए मिलेट्स की खरीद का लक्ष्य नियत किया गया है और वास्तविक खरीद के आधार पर वहां पीडीएस के माध्यम से इसका वितरण सुनिश्चित किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि मिलेट्स की खरीद एवं खपत बढ़ाने के लिए केन्द्र सरकार ने इसके वितरण की अवधि की समीक्षा करके उसे संशोधित किया है और उसमें मिलेट्स के अंतर राज्यीय परिवहन को भी शामिल कर लिया है।
छह माइनर मिलेट्स की खरीद सुनिश्चित करने के लिए दिशा निर्देश नियत किया गया है। मिलेट्स की खेती के लिए अग्रिम सब्सिडी का प्रावधान रखा गया है। दिलचस्प तथ्य यह है कि 2022-23 सीजन के लिए 13 लाख टन मिलेट्स की खरीद का लक्ष्य नियत किया गया था।
लेकिन उत्पादन एवं उपयोग बढ़ाने हेतु तमाम प्रयास किए जाने के बावजूद इसकी वास्तविक खरीद नियत लक्ष्य से काफी पीछे रह गई थी।