iGrain India - कोडागु । पीपर ग्रोअर्स कंसोर्टियम के संयोजक ने कहा है कि दिसावरी मंडियों (मार्केट) में त्यौहारी सीजन की मांग समाप्त होने, विदेशों से आयात बढ़ने एवं घरेलू उत्पादन में वृद्धि की संभावना रहने से कालीमिर्च के दाम में नरमी आने लगी है।
अन गार्बल्ड कालीमिर्च का भाव फिसलकर अब 595 रुपए प्रति किलो पर आ गया है। कालीमिर्च की फसल के लिए 2023-24 को एक सामान्य वर्ष माना जा रहा है जिसे देखते हुए व्यापार विश्लेषकों का कहना है कि इसकी कीमतों में स्थिरता या नरमी का माहौल बन सकता है।
मसाला बोर्ड के मुताबिक 2021-22 के सीजन में करीब 70 हजार टन कालीमिर्च का उत्पादन हुआ था जो 2022-23 में घटकर 64 हजार टन रह गया। भारतीय कालीमिर्च एवं मसाला व्यापार संघ का कहना है कि 2023-24 के सीजन में कालीमिर्च का घरेलू उत्पादन एक बार फिर बढ़कर 70 हजार टन पर पहुंच सकता है।
आमतौर पर कालीमिर्च के कुल घरेलू उत्पादन में कर्नाटक की भागीदारी 55 प्रतिशत, केरल की 40 प्रतिशत तथा तमिलनाडु की 5 प्रतिशत रहती है। लेकिन अब आंध्र प्रदेश में भी इसकी खेती शुरू हो गई है जबकि तमिलनाडु के नए-नए क्षेत्रों में इसके बागान लगाए जा रहे हैं। केरल में कालीमिर्च फसल की हालत उत्साहवर्धक नहीं है।
एक अग्रणी संस्था- इपस्ता के अनुसार पिछले एक माह के दौरान कालीमिर्च के दाम में 22 रुपए प्रति किलो की गिरावट आ चुकी है जिसका प्रमुख कारण अधिकांश प्रमुख खपतकर्ता मार्केट में वियतनाम तथा श्रीलंका से भारी मात्रा में आयातित कालीमिर्च का प्रवाह बढ़ना है।
जीएसटी सहित आयातित कालीमिर्च वहां 575 रुपए प्रति किलो की दर से उपलब्ध हो रही है जबकि स्वदेशी मसाला का खर्च 625 रुपए प्रति किलो बैठ रहा है।
ऐसी खबर आ रही है कि वियतनाम से भारी मात्रा में आयातित बड़े (बोल्ड) दाने वाली कालीमिर्च मूंदड़ा बंदरगाह पर से दिसावरी मार्केट में जा रही है जहां इसका मूल्य 600 रुपए प्रति किलो चल रहा है।
वियतनाम के सरकारी आंकड़ों में पता चलता है कि अमरीका और चीन के बाद भारत उसकी कालीमिर्च का तीसरा सबसे प्रमुख आयातक देश बना हुआ है। श्रीलंका में स्टॉक सीमित होने से भारत में वहां से कालीमिर्च का आयात घटने लगा है।