iGrain India - नई दिल्ली । मसूर तथा मोटे अनाजों के रकबे में बढ़ोत्तरी होने के बावजूद रबी फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र अभी तक गत वर्ष से करीब 9 लाख हेक्टेयर या 3.46 प्रतिशत पीछे चल रहा है क्योंकि सरसों, धान, गेहूं एवं चना आदि की बिजाई कम क्षेत्रफल में हुई है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार चालू वर्ष के दौरान 17 नवम्बर तक राष्ट्रीय स्तर पर रबी फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र 248.50 लाख हेक्टेयर पर ही पहुंच सका जो पिछले साल की समान अवधि में 257.40 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया था। रबी फसलों की बिजाई की रफ्तार बढ़ने लगी है।
हालांकि मसूर का उत्पादन क्षेत्र पिछले साल के 7.60 लाख हेक्टेयर से बढ़कर इस बार 8.70 लाख हेक्टेयर रह गया। इसी तरह मोटे अनाजों का रकबा समीक्षाधीन अवधि के दौरान 15.80 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 18 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा लेकिन गेहूं का क्षेत्रफल 91.00 लाख हेक्टेयर से घटकर 86 लाख हेक्टेयर तथा धान का उत्पादन क्षेत्र 8.00 लाख हेक्टेयर से गिरकर 7.60 लाख हेक्टेयर पर आ गया।
इसी तरह तिलहन फसलों में सरसों का बिजाई क्षेत्र गत वर्ष के 69.30 लाख हेक्टेयर से फिसलकर इस बार 68.50 लाख हेक्टेयर रह गया। आगामी समय में इन फसलों के क्षेत्रफल में सुधार आने के आसार हैं।
उपरोक्त आंकड़ों के अवलोकन से पता चलता है कि प्रमुख रबी फसलों की बिजाई में कहीं-कहीं बाधा पड़ रही है। गेहूं एवं चना का खुला बाजार भाव सरकारी समर्थन मूल्य से काफी ऊंचा चल रहा है इसलिए इसके क्षेत्रफल में कुछ बढ़ोत्तरी की उम्मीद की जा रही है।
मसूर का दाम भी आकर्षक स्तर पर चल रहा है और मार्च-अप्रैल 2024 में कटाई-तैयारी सीजन के दौरान यदि जोरदार आवक के कारण इसकी कीमतों में नरमी आने के संकेत मिले तो भी किसानों को नुकसान नहीं होगा क्योंकि केन्द्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर इसकी खरीद के लिए तैयार रहेगी।
जहां तक गेहूं का सवाल है तो पंजाब-हरियाणा में धान एवं उत्तर प्रदेश में गन्ना फसल की कटाई में देर होने से इसका क्षेत्रफल कुछ बिगड़ गया है। देश के उत्तरी एवं पश्चिमोत्तर प्रान्तों में रबी फसलों की बिजाई के लिए परिस्थिति अभी अनुकूल बनी हुई है।