iGrain India - नई दिल्ली । भारत के साथ सरकार से सरकार स्तर पर सफेद चावल के आयात का करार करने वाले कुछ देश चाहते हैं कि चावल पर निर्यात शुल्क से छूट दी जाए। इसमें अफ्रीका के देश मुख्य रूप से शामिल है।
उल्लेखनीय है कि पिछले महीने जब विशाखापट्नम बंदरगाह से मारीशस के पोर्ट लुई बंदरगाह के लिए 5300 टन कच्चे (सफेद) चावल के निर्यात का शिपमेंट होने वाला था तब कस्टम अधिकारियों ने उस पर 20 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगा दिया।
ध्यान देने वाली बात है कि 20 जुलाई 2023 को भारत सरकार द्वारा सफेद गैर बासमती चावल के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने से पूर्व तक उस पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लागू था।
सरकारी स्तर पर हुए करार में इस सीमा शुल्क को हटाने का प्रावधान नहीं था इसलिए कस्टम अधिकारियों ने पुराने नियम का हवाला देते हुए सीमा शुल्क लगा दिया।
आयातक देश इससे नाखुश हैं और तर्क दे रहे हैं कि सरकारी स्तर पर होने वाले करार के अंतर्गत सीमा शुल्क नहीं लगाया जाना चाहिए क्योंकि यह आम निर्यात नहीं बल्कि विशेष शिपमेंट के अंतर्गत आता है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार जिन देशों के साथ भारत ने मुक्त व्यापार समझौता कर रखा उसे चावल का शुल्क मुक्त निर्यात दिया जा रहा है। उसके लिए चावल पर कोई निर्यात शुल्क लागू नहीं है।
ऐसी हालत में नेपाल को तो शुल्क मुक्त चावल का निर्यात हो सकता है मगर भूटान को होने वाले निर्यात पर 20 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगाया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि अक्टूबर में भारत सरकार ने सात देशों के लिए 10.34 लाख टन सफेद चावल का निर्यात कोटा आवंटित किया था और इस निर्यात प्रक्रिया का संचालन नेशनल को ऑपरेटिव एक्सपोर्ट लि० (एनसीईएल) द्वारा किया जाएगा। इसमें फिलीपींस, कैमरून, मलेशिया, नेपाल, कोट डीआइवरी, गिनी तथा सेशेल्स जैसे देश शामिल हैं।