iGrain India - मुम्बई । चालू वर्ष के दौरान अगस्त एवं अक्टूबर में देश के प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों में मौसम शुष्क एवं गर्म रहने से फसल को काफी क्षति पहुंची जिसे देखते हुए चीनी मिलों को कच्चे माल की भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है।
शीर्ष उद्योग संगठन- इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने चीनी के उत्पादन में फिलहाल 8 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान लगाया है जबकि आगे इस उत्पादन अनुमान में और भी बदलाव हो सकते हैं।
उधर सहकारी चीनी मिलों के प्रमुख संगठन ने चीनी का उत्पादन 2022-23 सीजन के 331 लाख टन से घटकर 2023-24 के वर्तमान सीजन में 295 लाख टन पर सिमटने की संभावना व्यक्त की है।
उत्पादन में गिरावट के बावजूद चीनी के उपयोग में कमी नहीं आएगी और यह बढ़कर 275 लाख टन तक पहुंचने की उम्मीद है। इसे देखते हुए घरेलू प्रभाग में चीनी की मांग एवं आपूर्ति का संतुलन जटिल रह सकता है।
चीनी के निर्यात पर जून 2023 से ही रोक लगाई हुई है और ऐसा प्रतीत होता है कि चालू मार्केटिंग सीजन में इस रोक को हटाना सरकार के लिए संभव नहीं हो पाएगा।
अगले साल अप्रैल-मई में लोकसभा के लिए आम चुनाव होना है और इसलिए जून तक सरकार कोई जोखिम नहीं उठाना चाहेगी। वैसे भी चीनी का घरेलू बाजार भाव काफी ऊंचा एवं तेज चल रहा है जिसे नीचे जाने का कोई भी सरकारी प्रयास सफल नही हो रहा है।
माना जा रहा था कि त्यौहारी सीजन समाप्त होने तथा नए माल की आवक आरंभ होने पर चीनी की मांग एवं कीमत नरम पड़ेगी लेकिन इसका कोई ठोस संकेत फिलहाल नहीं मिल रहा है।
इतना लगभग निश्चित हो गया है कि चालू मार्केटिंग सीजन के दौरान महाराष्ट्र एवं कर्नाटक जैसे अग्रणी उत्पादक राज्यों में चीनी का उत्पादन काफी घट सकता है।
दूसरी ओर उत्तर प्रदेश एवं गुजरात में उत्पादन कुछ बढ़ने के आसार हैं लेकिन वह महाराष्ट्र- कर्नाटक के उत्पादन में आने वाली गिरावट से काफी पीछे रह जाएगा और उसकी भरपाई नहीं कर पाएगा। इसके फलस्वरूप चीनी का भाव आगे भी मजबूत रहने के आसार हैं।