iGrain India - मुम्बई । हालांकि भारत में सभी तरह के रिफाइंड खाद्य तेलों के आयात की अनुमति है और सरकार ने इस पर आयात शुल्क को भी काफी घटा दिया है लेकिन व्यावहारिक तौर पर देश में केवल आरबीडी पामोलीन का ही आयात हो रहा है जिसे इंडोनेशिया, मलेशिया तथा थाईलैंड जैसे देशों में मंगाया जाता है।
इसका विशाल मात्रा में हो रहा आयात स्वदेशी वनस्पति तेल रिफाइनिंग उद्योग के लिए गंभीर चुनौती बना हुआ है। उद्योग द्वारा सरकार से बार-बार रिफाइंड पामोलीन के आयात पर अंकुश लगाने के लिए आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया जा रहा है लेकिन सरकार इसे नजरअंदाज कर रही है।
हकीकत तो यह है कि रिफाइंड पामोलीन के बढ़ते आयात पर अंकुश लगाने के बजाए इसे प्रोत्साहित किया जा रहा है। एक अग्रणी संगठन- सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) के अध्यक्ष का कहना है कि भारतीय खाद्य तेल उद्योग का दायरा 300 लाख करोड़ रुपए था 35 अरब डॉलर तक फ़ैल चुका है और यह राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
लेकिन इस उद्योग को अनेक चुनौतियों एवं समस्यायों का सामना भी करना पड़ रहा है जिसे दूर करने में सरकारी सहयोग- समर्थन की जरूरत है।
'सी' के अध्यक्ष का कहना है कि पिछले 12 वर्षों से इंडोनेशिया तथा मलेशिया द्वारा क्रूड पाम तेल (सीपीओ) पर ऊंची दर का निर्यात शुल्क लगाया जा रहा है जबकि रिफाइंड पामिलीन पर शुल्क कम लगाया जाता है ताकि इसके निर्यात को अधिक से अधिक प्रोत्साहन मिल सके और स्वदेशी रिफाइनिंग उद्योग के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
इससे उसका रिफाइंड पामोलीन सस्ता हो जाता है और भारतीय आयातकों को तेजी से आकर्षित करता है। देश में इसका विशाल आयात हो रहा है जिससे भारतीय रिफाइनिंग उद्योग को अपनी कुल संचित क्षमता का पूरा उपयोग करने में सफलता नहीं मिल पाती है और घरेलू बाजार में अपने उत्पाद की बिक्री के लिए असमान एवं अनावश्यक प्रतिस्पर्धा का सामान करना पड़ता है। रिफाइंड खाद्य तेलों पर आयात शुल्क को बढ़ाया जाना अत्यन्त आवश्यक है।