iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार का दावा है कि उसके पास दलहनों का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है और इसकी सहायता से वह कीमतों को नियंत्रित करने हेतु बाजार में प्रभावी ढंग से हस्तक्षेप करने में सक्षम हो जाएगी।
उल्लेखनीय है कि सरकार दो तरीकों से दलहनों की खरीद करके अपना स्टॉक बढ़ाने का प्रयास करती है।
इसमें एक तरीका मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) है जिसके तहत किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर दलहन खरीदा जाता है। दूसरा तरीका मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) पर दलहन खरीदा जाता है।
दूसरा तरीका मूल्य स्थिरीकरण (पीएसएफ) योजना है जिसके तहत व्यापारियों- आयातकों से प्रचलित बाजार मूल्य पर दलहनों की खरीद की जाती है। सरकार के पास खासकर चना का विशाल भंडार मौजूद रहता है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय की अधीनस्थ एजेंसी- नैफेड द्वारा किसानों से खरीफ एवं रबी मार्केट सीजन के दौरान अच्छी मात्रा में दलहनों की खरीद की जाती है और बाद में बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत इसकी बिक्री की जाती है।
सरकार ने किसी राज्य में उत्पादित दलहनों की कुल मात्रा में से अधिकतम 25 प्रतिशत भाग की खरीद का नियम लागू किया था। यदि कोई राज्य 25 प्रतिशत से अधिक दलहनों की खरीद करना चाहता है तो इसकी उच्चतम सीमा 40 प्रतिशत तक हो सकती है और इस अतिरिक्त खरीद वाले दलहन का उपयोग राज्य सरकार को पीडीएस अथवा अन्य कल्याणकारी योजनाओं में वितरण के लिए करना होगा।
लेकिन जून 2023 में एक आदेश जारी करके केन्द्र सरकार ने अरहर (तुवर) उड़द एवं मसूर के लिए 40 प्रतिशत की अधिकतम खरीद की सीमा को समाप्त कर दिया और किसी भी मात्रा में इसकी खरीद की अनुमति दे दी ताकि किसानों को लाभप्रद मूल्य प्राप्त हो और वह इन दलहनों का अधिक से अधिक उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित हो सके।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार जुलाई-अक्टूबर के चार महीनों के दौरान केन्द्र सरकार (नैफेड) द्वारा खुले बाजार में करीब 13 लाख टन चना उतारा गया ताकि इसकी पर्याप्त आपूर्ति एवं उपलब्धता सुनिश्चित हो सके और कीमतों पर नियंत्रण बरकरार रहे।
इसके बावजूद बफर स्टॉक में अब भी करीब 18-19 लाख टन चना का भारी-भरकम स्टॉक मौजूद है। इसका कुल स्टॉक बढ़कर एक समय 38 लाख टन पर पहुंच गया था। अधिकारियों का कहना है कि नैफेड के पास चना का भरपूर स्टॉक मौजूद है और नियमित रूप से इसकी बिक्री भी की जा रही है।