iGrain India - कोच्चि । मसाला बोर्ड ने अपने नए दिशा निर्देश में नीलामी कर्ताओं को नीलामी की प्रक्रिया समाप्त होने के बाद 10 दिनों के अंदर इलायची उत्पादकों को उसके उत्पाद के मूल्य का भुगतान करने के लिए कहा है जिससे व्यापार क्षेत्र में भारी चिंता उत्पन्न हो गई है।
उद्योग समीक्षकों के अनुसार बोर्ड के नोटिस में बिडर भुगतान के लिए सात दिन में सेटलमेंट करने का निर्देश दिया गया है जिसका पालन करना एक कठिन चुनौती साबित हो सकता है।
इस तरह की सख्त समय सीमा काफी हद तक गैर व्यावहारिक प्रतीत होती है। दरअसल व्यापारियों द्वारा बल्क इलायची की प्रोसेसिंग करवाने में कमी लम्बा समय लग जाता है जिसमें इलायची की साफ़-सफाई (क्लीनिंग) करना, उसका श्रेणीकरण एवं प्रसंस्करण करना तथा ट्रांजिट करना आदि शामिल है।
भारत में खरीद के बाद छोटी इलायची को अच्छी तरह प्रसंस्कृत करके उसे खरीदारों तक पहुंचाने में 5-7 दिनों का समय लग जाता है और व्यापारियों को भुगतान मिलने में काफी देर हो जाती है। ऐसी हालत में उन्हें सात दिनों के अंदर सेटलमेंट करने तथा 10 दिनों में भुगतान सुनिश्चित करने में भारी कठिनाई का सामना करना पड़ेगा।
दरअसल इलायची उत्पादकों को भुगतान प्राप्त होने में काफी देर हो जाती है। इसे देखते हुए वे बार-बार मसाला बोर्ड से इसकी शिकायत कर रहे थे इसलिए बोर्ड को इस तरह का दिशा निर्देश जारी करना पड़ा।
बोर्ड के विपणन निदेशक द्वारा जारी एक सर्कुलर में कहा गया है कि इस नियम का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्डमम लाइसेंसिंग एंड मार्केटिंग रुल्स 1987 तथा इसमें समय-समय पर होने वाले संशोधन के अंतर्गत उपयुक्त कार्रवाई की जाएगी।
इडुक्की (केरल) के एक प्लांटर का कहना है कि इलायची का भाव 2200 रुपए प्रति किलो से घटकर 1500 रुपए प्रति किलो पर आ गया है जिससे व्यापारियों को जबरदस्त नुकसान हुआ है।
इसके अलावा पांच राज्यों में विधानसभा का चुनाव होने के कारण खपतकर्ता केन्द्रों से व्यापारियों को भुगतान मिलने में देरी हो रही है जिससे वे नीलामी कर्ताओं को सही समय पर भुगतान नहीं कर पा रहे हैं और नीलामी कर्ताओं को भी इलायची उत्पादकों का भुगतान 10 दिनों में करने में सफलता नहीं मिल रही है। वैसे 10 दिन में भुगतान करना बहुत अच्छा होता और इससे इलायची उत्पादकों को आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ता।